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पश्चिम बंगाल के लिए पीएम मोदी ने किया एक हजार करोड़ के पैकेज का एलान, 83 दिनों बाद दिल्ली से बाहर निकले प्रधानमंत्री

चक्रवात की चपेट में आने से अभी तक राज्य में कम से कम 77 लोगों की जान जा चुकी है. उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्व और पश्चिम मिदनापुर, कोलकाता, हावड़ा और हुगली जिलों में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चक्रवाती तूफान से ग्रसित पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के दौरे पर हैं. पीएम मोदी 83 दिनों बाद दिल्ली से बाहर निकले हैं. प्रधानमंत्री का आखरी दौरा 29 फरवरी को प्रयागराज और चित्रकूट का हुआ था उसके बाद से कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लॉकडाउन की वजह से प्रधानमंत्री दिल्ली से बाहर नहीं निकले. चौथे चरण के लॉकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में आए भीषण चक्रवाती तूफान से हुए जानमाल के नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री ने दिल्ली से बाहर निकलने का फैसला लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में हुए जानमाल के नुकसान के लिए 1000 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान भी किया. इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीश धनकर भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के बसीरहाट में हुए नुकसान के लिए समीक्षा बैठक की इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारी और पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बंगाल से मंत्री बाबुल सुप्रियो और देव श्री चौधरी जी मौजूद थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के लिए 1000 करोड़ के पैकेज का ऐलान देते हुए कहा कि साइक्‍लोन ने भारत के तटीय क्षेत्र को, विशेष करके पूर्वी क्षेत्र को प्रभावित किया और उसमें भी सबसे ज्‍यादा दुष्‍परिणाम पश्चिम बंगाल के हमारे भाइयों-बहनों को, पश्चिम बंगाल के नागरिकों को, यहां की संपत्ति को बहुत हानि पहुंचाई है.

साइक्‍लोन की संभावनाओं से लेकर लगातार मैं इससे संबंधित सभी लोगों से संपर्क में था. भारत सरकार भी सतत राज्‍य सरकार के संपर्क में थी. साइक्‍लोन का नुकसान कम से कम हो, इसके लिए जो भी आवश्‍यक कदम उठाने चाहिए उसके लिए राज्‍य सरकार और केंद्र सरकार ने मिल करके भरसक प्रयास किया. लेकिन उसके बावजूद करीब-करीब 80 लोगों का जीवन हम नहीं बचा पाए, इसका हम सबको दुख है. जिन परिवारों ने अपना स्‍वजन खोया है, उनके प्रति केंद्र सरकार, राज्‍य सरकार और हम सबकी संवदेनाएं हैं और इस संकट की घड़ी में हम उनके साथ हैं.

संपत्ति का भी नुकसान काफी होता है- चाहे एग्रीकल्‍चर हो, चाहे पॉवर सेक्‍टर हो, चाहे टेली- कॉम्‍युनिकेशन हो, चाहे घरों का उजड़ जाना हो. अनेक प्रकार का चाहे वो इंफ्रास्‍टक्‍चर का हो, चाहे व्‍यापार जगत से लोग जुड़े हुए हों, चाहे खेती सेक्‍टर से जुड़े हुए लोग हों, हर किसी को नुकसान होता है.

आज मैंने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी और गवर्नर के साथ हवाई निरीक्षण करके बारीकी से इस प्रभावग्रस्‍त विस्‍तार को देखा है. अभी राज्‍य सरकार ने और मुख्‍यमंत्री ने विस्‍तार से मेरे सामने जो भी प्राथमिक आकलन है, उसका ब्‍यौरा दिया है. हमने तय किया है कि जितना जल्दी हो सके उतना जल्‍दी डिटेल में सर्वे हो. कृषि का हो, पॉवर सेक्‍टर का हो, टेली-कॉम्‍युनिकेशन का हो, घरों की जो स्थिति है, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की जो स्थिति है.

केंद्र सरकार की तरफ से भी तत्‍काल एक टीम आएगी और वो टीम इन सभी क्षेत्रों में सर्वे करेगी और हम मिल करके पुनर्वास हो, बहाली हो, पुनर्निर्माण हो उसकी व्‍यापक योजना बनाके बंगाल की इस दुख की घड़ी में हम पूरा-पूरा साथ देंगे, सहयोग देंगे और बंगाल जल्‍द से जल्‍द खड़ा हो जाए, बंगाल जल्‍द से जल्‍द तेज गति से आगे बढ़े, इसके लिए भारत सरकार कंधे से कंधा मिला करके काम करेगी और जो भी आवश्‍यकताएं होंगी, उन आवश्‍यकताओं को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार के जो भी नीति-नियम हैं उसका पूरी तरह उपयोग करते हुए पश्चिम बंगाल की मदद में हम खड़े रहेंगे.

अभी तत्‍काल जो इस संकट की घड़ी में राज्‍य सरकार को कठिनाई न हो इसके लिए एक अग्रिम सहायता के रूप में एक हजार करोड़ रुपए भारत सरकार की तरफ से व्‍यवस्‍था की जाएगी. साथ-साथ जिन परिवारों ने अपने स्‍वजन खोए हैं, उन परिवारों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए और जिन लोगों को चोटें आई हैं उनको 50 हजार रुपये तक की सहायता देने का काम भी हम प्रधानमंत्री राहत कोष से करेंगे.

कोरोना वायरस और साइक्‍लोन में जीतने का मंत्र एकदूसरे से अलग

पूरी दुनिया एक संकट से जूझ रही है. भारत भी लगातार कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. कोरोना वायरस की लड़ाई में जीतने का मंत्र और साइक्‍लोन में जीतने का मंत्र, दोनों पूरी तरह एक-दूसरे से परे है.

कोरोना वायरस से लड़ने का मंत्र है- जो जहां है वहीं रहे, जरूरत नहीं हो तब तक घर से बाहर नहीं निकले और जहां भी जाए दो गज की दूरी बनाए रखे, लेकिन साइक्‍लोन का मंत्र है कि साइक्‍लोन आ रहा है, जल्‍दी से जल्‍दी सुरक्षित जगह पर आप शिफ्ट कर जाइए, वहां पर पहुंचने का प्रयास कीजिए, अपना घर खाली कीजिए. यानी दोनों अलग-अलग प्रकार की लड़ाइयां एक साथ पश्चिम बंगाल को लड़नी पड़ी हैं.

लेकिन उसके बावजूद भी ममता जी के नेतृत्‍व में राज्‍य सरकार ने भरसक प्रयास किया है. भारत सरकार ने भी लगातार उनके साथ रह करके इस संकट की घड़ी में जो भी आवश्‍यक व एडवांस में करने योग्‍य था, जो उसी समय करने के योग्‍य था और जो आगे दिनों में करने की आवश्‍यकता है, उसको भी पूरा करने का हम प्रयास करेंगे.

आज समग्र देश को जिनके लिए गौरव है, ऐसे राजा राममोहन राय जी की जन्‍मजयंती है और इस समय मेरा पश्चिम बंगाल की पवित्र धरती पर होना, मेरे मन को छूने वाली बात है. लेकिन संकट की घड़ी से हम जूझ रहे हैं, तब मैं इतना ही कहूंगा कि राजा राममोहन राय जी हम सबको आशीर्वाद दें ताकि समयानुकूल समाज परिवर्तन के जो उनके सपने थे, उनको पूरा करने के लिए हम मिल-बैठ करके, मिल-जुल करके एक उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए समाज सुधार के अपने कामों को निरंतर जारी रखेंगे और वही राजा राममोहन राय जी को उत्‍तम श्रद्धांजलि होगी.

मैं मेरे पश्चिम बंगाल के सभी भाइयों-बहनों को विश्‍वास दिलाता हूं कि संकट की घड़ी में पूरा देश आपके साथ है. भारत सरकार कंधे से कंधा मिला करके आपके साथ आने वाले सभी कामों में खड़ी रहेगी. इसी संकट की घड़ी के समय आप सबसे मिलने आया हूं, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सब नागरिकों से तो नहीं मिल पा रहा हूं, मन में एक कसक तो रह जाएगी. यहां से मैं आज उड़ीसा की ओर जाऊंगा और वहां भी हवाई निरीक्षण करूंगा, वहां के माननीय मुख्‍यमंत्री से, राज्‍य सरकार से बातचीत करूंगा. जल्‍द से जल्‍द आप इस संकट से बाहर निकलें, इसके लिए मैं पूरी तरह आपके साथ रहूंगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली से 83 दिनों बाद बाहर निकलने की सबसे बड़ी वजह पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में राष्ट्रीय आपदा जैसी संकट को माना जा रहा है.

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