MP में पीएम मोदी बोले- 'हमारी सरकार MSP को लेकर गंभीर है, अगर ये हटाना होता तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू क्यों करते?'
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद क्या-क्या बहाने बताए गए. ये मध्य प्रदेश के किसान मुझसे भी ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं. राजस्थान के लाखों किसान भी आज तक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं.'
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. वहीं आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों के बीच गए. उन्होंने किसान कल्याण कार्यक्रम को संबोधित किया. बीते समय में ओले गिरने, प्राकृतिक आपदा की वजह से मध्य प्रदेश के किसानों का नुकसान हुआ है. आज इस कार्यक्रम में राज्य के ऐसे 35 लाख किसानों के बैंक खातों में 1600 करोड़ रुपये भेजे गए.
पीएम मोदी ने कहा, "हमारी सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार, बुवाई से पहले MSP की घोषणा करती है. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का काम हमारी ही सरकार ने किया. अगर हमें MSP हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते? पिछली सरकार ने अपने पांच साल में किसानों से लगभग 1700 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा था. हमारी सरकार ने अपने पांच साल में 3,000 लाख मिट्रिक टन धान किसानों से MSP पर खरीदा है."
कांग्रेस पर बरसे पीएम मोदी किसानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी कांग्रेस पर जमकर बरसे हैं. उन्होंने कहा, "हमारे देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का बहुत ही बड़ा उदाहरण है, कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई कर्जमाफी. जब 2 साल पहले मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले थे तो 10 दिन के भीतर कर्जमाफी का वादा किया गया था. कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ?"
पीएम मोदी ने कहा, 'मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं कि आप अपना क्रेडिट अपने पास रखिए. मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए. मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए. कृपा करके किसानों को बरगलाना, उन्हें भ्रमित करना छोड़ दीजिए. अचानक भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं. किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं.'
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को 8 साल तक दबाकर बैठे रहे. किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू की, किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया.'
पीएम मोदी से संबोधन की खास बातें-
- तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती. पहले ही बहुत देर हो चुकी है. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं.
- भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता. दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के भी किसानों को मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती.
- बीते दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है.
- सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं. सिर्फ इन मांगों को टालते रहे और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा.
- देश के किसानों को याद दिलाऊंगा यूरिया की. याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं?
- अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश में 100 के करीब बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट दशकों तक नहीं लटकते. सोचिए, बांध बनना शुरू हुआ तो पच्चीसों साल तक बन ही रहा है. बांध बन गया तो नहरें नहीं बनी, नहरे बन गई तो नहरों को आपस में जोड़ा नहीं गया.
- राजनीति के लिए किसानों का उपयोग करने वाले लोगों ने किसान के साथ क्या बर्ताव किया, इसका एक और उदाहरण है, दलहन की खेती. 2014 के समय को याद कीजिए, किस प्रकार देश में दालों का संकट था. देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेशों से मंगाई जाती थी.
- नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी. अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा.
35 लाख किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये ट्रांसफर मध्य प्रदेश के 35 लाख किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए हैं. 15 दिसंबर को हुई कैबिनेट मीटिंग के दौरान सीएम शिवराज ने यह घोषणा की थी. यह इसी साल हुई सोयाबीन आदि फसलों के नुकसान का पैसा है. यह राशि कुल भुगतान की एक तिहाई है. किसान महासम्मेलन के दौरान प्रदेश के लगभग 2000 पशुपालक और मछली पालक को किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया गया. इसके अलावा 75 करोड़ रुपये की कृषि संरचना जैसे गोदाम, किसान सुविधा केंद्र इत्यादि का निर्माण कार्यो का भूमि पूजन और लोकार्पण भी किया जाएगा.
बता दें, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आज लगातार 23वें दिन प्रदर्शन जारी है. किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच बीजेपी ने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने के लिए सभा आयोजित करने का फैसला लिया.
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