पीएम मोदी कल समंदर में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति की रखेंगे नींव
मुंबई: महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की मूर्ती की कल नीव रखी जाएगी. इसको लेकर राज्य सरकार बड़ी तैयारी में जुटी हुई है. स्मारक की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्मारक को बनाने में आने वाला खर्च 3 हजार 6 सौ करोड़ रुपए है. महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में इस स्मारक को लेकर राजनीति शुरु हो गई है.
शिवाजी का ये स्मारक मुंबई के अरब सागर में समंदर तट से डेढ़ किलोमीटर अंदर होगा. स्मारक में छत्रपति शिवाजी की विशालकाय मूर्ति होगी. जिसकी ऊंचाई घोड़े समेत 192 मीटर यानी 630 फीट होगी. सिर्फ शिवाजी के पुतले की ही ऊंचाई करीब 114 मीटर यानी करीब 375 फीट है. 32 एकड़ के चट्टान पर स्मारक तैयार किया जाएगा जहां 10 हजार लोग एक साथ विजिट कर सकते हैं.
आपको बता दें कि शिवाजी की इस मूर्ति की तुलना पूरी दुनिया में मशहूर न्यू यॉर्क के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी की जा रही है. जिसकी कुल ऊंचाई करीब 93 मीटर है. ऊंचाई के लिहाज से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से काफी ऊंची होगी शिवाजी की मूर्ति. यही नहीं स्मारक पर मंदिर, लाइब्रेरी, एम्पीथिएटर, फूड कोर्ट, ऑडियो गायडेड टुअर जैसी सुविधाएं भी होंगी. इस भव्य स्मारक का कुल खर्च आंका गया है करीब 3600 करोड़ रुपये.
शिवाजी की मूर्ति को डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है मशहूर शिल्पकार और पद्मभूषण राम सुतार को. जिन्होंने इससे पहले स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी यानी सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का डिजाइन भी तैयार किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल खुद इस स्मारक की नींव रखेंगे. स्मारक के भूमि पूजन के लिए राज्य के 36 जिलों से कलश और मिट्टी भी मंगाई गई है. लेकिन भूमिपूजन से पहले ही शिवाजी के स्मारक पर राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए बीजेपी शिवाजी के स्मारक पर राजनीति कर रही है. खास बात ये है कि पिछले कुछ महीने से मराठा समाज ने राज्य में आंदोलन खड़ा कर रखा है. आरक्षण का ये मामला कोर्ट में लंबित है. जानकार मान रहे है की स्मारक की आड़ में बीजेपी मराठाओं को लुभाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बीजेपी का साफ कहना है कि स्मारक राजनीतिक एजेंडा नहीं है.
कांग्रेस का ये भी कहना है कि शिवाजी के स्मारक का प्रोजेक्ट कांग्रेस का ही था जिसे बीजेपी ने हथिया लिया है. स्मारक पर होने वाले खर्च को लेकर कई एक्टिविस्ट सवाल भी उठा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार करिश्मा उपाध्याय ने स्मारक के विरोध में ऑनलाइन पिटीशन भी दाखिल की है. सवाल उठाने वालों का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट की लागत BMC के एक साल के स्वास्थ्य बजट के बराबर है.