Kartavya Path Inauguration: कर्तव्य पथ का पीएम नरेंद्र मोदी ने किया उद्घाटन, जानें क्या है इसका इतिहास, अंग्रेज चलाते थे यहां से देश
Central Vista Inauguration: रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले राजपथ का नाम पहले किंग्सवे था, जो कि ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम ने बनवाया था.
Kartavya Path Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद् मोदी ने गुरुवार को कर्तव्य पथ (Kartavya Path) का उद्घाटन किया. केंद्र सरकार ने जिस राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया वो ब्रिटिश काल में किंग्सवे के नाम से जाना जाता था. आजादी की सुबह से लेकर सात दशकों से अधिक समय तक वार्षिक गणतंत्र दिवस समारोहों की मेजबानी करने तक, भारत की राजधानी में ऐतिहासिक राजपथ ने औपनिवेशिक शासन को भी देखा है और एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र की आन-बान-शान का भी गवाह बना है.
ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम ने क्यों बनाया था राजपथ?
रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले राष्ट्रीय राजधानी के इस पथ यानी राजपथ का नाम सबसे पहले किंग्सवे था, जो नयी दिल्ली के बीचों बीच एक राजसी केंद्रीय धुरी थी. ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा प्रशासन के केंद्र कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद इसका निर्माण किया गया.
आजादी के तुरंत बाद किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया और इसके लंबवत मार्ग क्वींसवे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया. अब, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया.
जब दिल्ली राजधानी बनी?
किंग जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी क्वीन मैरी ने 15 दिसंबर 1911 को ब्रिटिश राज की ‘नयी राजधानी’ की आधारशिला रखी थी. किंग की दृष्टि के अनुरूप वास्तुकार सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने नये राजधानी शहर का निर्माण किया, जिसकी भव्यता और स्थापत्य कला ने यूरोप और अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ शहरों को टक्कर दी.
इस नयी राजधानी का केंद्रबिंदु रायसीना हिल परिसर था, जिसमें राजसी वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक शाही सचिवालय थे. ग्रेट प्लेस (जिसे बाद में विजय चौक का नाम दिया गया) से इंडिया गेट तक एक भव्य मार्ग बनाया गया, जिसके दोनों तरफ हरे-भरे लॉन, फव्वारे और सजावटी लैम्पपोस्ट थे.
किसने बनाया संसद भवन?
सर हर्बर्ट बेकर ने राष्ट्रपति भवन के पास एक गोलाकार संसद भवन बनाया, जिसका उद्घाटन जनवरी 1927 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था. दो विश्व युद्धों के बीच शहर का निर्माण किया गया था और इसे बनने में 20 साल से अधिक का समय लगा था. वायसराय इरविन ने ही 13 फरवरी, 1931 को इसका उद्घाटन किया था.
लंबे औपनिवेशिक शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत के आजाद होने पर लोग रायसीना हिल से इंडिया गेट तक के मार्ग में स्वतंत्र भारत की सुबह का स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े थे. भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बन गया और राजपथ 1951 से सभी गणतंत्र दिवस समारोहों का स्थल रहा है. केवल पहला गणतंत्र दिवस समारोह इंडिया गेट परिसर के पीछे इरविन स्टेडियम (अब कैप्टन ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में आयोजित किया गया था, जहां राजपथ खंड समाप्त होता है.
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