32nd International Conference of Agricultural Economists: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (3 अगस्त 2024) को दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICAE) का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि 65 साल के बाद ICAE की ये कॉन्फ्रेंस भारत में फिर हो रही है. आप दुनिया के अलग अलग देशों से भारत आए हैं. भारत के 120 मिलियन किसानों की तरफ से आपका स्वागत है. भारत की 30 मिलियन से ज्यादा महिला किसानों की तरफ से आपका स्वागत है. देश के 30 मिलियन फिशरमैन की तरफ से आपका स्वागत है. देश के 80 मिलियन पशुपालकों की तरफ से आपका स्वागत है. आप आज उस देश में हैं, जहां 550 मिलियन पशु हैं. जीव प्रेमी भारत में आपका स्वागत है, अभिनंदन है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन कृषि और भोजन को लेकर हमारी मान्यताएं हैं, हमारे अनुभव हैं. भारतीय कृषि परंपरा में साइंस को, लॉजिक को प्राथमिकता दी गई है. हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है. ये पारंपरिक नॉलेज सिस्टम भारत के समाज जीवन का हिस्सा है. पिछली बार जब ICAE की कॉन्फ्रेंस यहां हुई थी, तब भारत को उस समय नई नई आजादी मिली थी. वह भारत की फूड सिक्योरिटी को लेकर... भारत के एग्रीकल्चर को लेकर चुनौतियों से भरा समय था. आज भारत फूड सरप्लस देश है. आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है.
'दुनिया को ग्लोबल न्यूट्रीशन सिक्योरिटी का सॉल्यूशन दे रहा भारत'
पीएम मोदी ने कहा कि आईसीएई के पहले आयोजन को याद करते हुए कहा कि एक वो समय था जब भारत की फूड सिक्योरिटी दुनिया की चिंता का विषय था, और एक आज का समय है, जब भारत ग्लोबल फूड सिक्योरिटी, ग्लोबल न्यूट्रीशन सिक्योरिटी का सॉल्यूशन देने में जुटा है. आज दुनिया भर में भोजन और पोषण को लेकर इतनी चिंता है, लेकिन हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में कहा गया था कि सभी तत्वों में भोजन सर्वोच्च है, इसलिए भोजन को सभी औषधियों का आधार माना जाता है. हमारे आयुर्वेदिक विज्ञान में औषधीय गुणों वाले भोजन के उपयोग की पूरी समझ है. यह पारंपरिक ज्ञान प्रणाली भारत के सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है. भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन इसकी कृषि और खाद्यान्न से जुड़ी मान्यताएं और अनुभव भी हैं. भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान और तर्क को प्राथमिकता दी गई है.
'छोटे किसान भारत की फूड सिक्योरिटी की बड़ी ताकत'
एग्रीकल्चर हमारी इकॉनमिक पॉलिसी का केंद्र है. हमारे यहां करीब 90% परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन हैं, ये छोटे किसान ही भारत की फूड सिक्योरिटी की सबसे बड़ी ताकत हैं. यही स्थिति एशिया के कई विकासशील देशों में है, इसलिए भारत का मॉडल कई देशों में काम आ सकता है. भारत, मिलेट्स (Millets) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है. जिन्हें दुनिया सुपरफूड कहती है और उसे हमने ही अन्न की पहचान दी है. ये 'मिनिमम वॉटर, मैक्सिमम उत्पादन' के सिद्धांत पर चलते हैं.
'किसानों के लिए लगातार ला रहे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर'
भारत के अलग-अलग सुपर फूड ग्लोबल न्यूट्रिशन की समस्या को समाप्त करने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं. भारत अपने सुपर फूड की इस बास्केट को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है. हम डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं. हमारे किसानों को वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त होगी, जिससे वे डेटा-संचालित निर्णय लेने में सक्षम होंगे. हमारी पहल से करोड़ों किसानों को लाभ होगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. भारत में, हम कृषि में डिजिटल तकनीक का व्यापक उपयोग कर रहे हैं. पीएम किसान के माध्यम से हम केवल एक क्लिक से 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में धनराशि स्थानांतरित कर सकते हैं, और यह धनराशि 30 सेकंड के अंदर स्थानांतरित हो जाती है. मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन के माध्यम से, हम दुनिया को एक स्थायी कृषि-खाद्य प्रणाली से जोड़ने, एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को सिखाने के तरीके खोजेंगे.
सरदार पटेल का जिक्र कर सभी गेस्ट को दी ये सलाह
मुझे नहीं पता कि दुनिया में किसी किसान की मूर्ति है या नहीं. हमने दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के बारे में सुना है, लेकिन भारत में हमारे पास सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति है, जिन्होंने किसानों की शक्ति को जगाया, किसानों को स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा से जोड़ा. विशेष रूप से, पटेल की मूर्ति की ऊंचाई स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई से दोगुनी है. आपको विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा, इस अद्भुत आश्चर्य को अवश्य देखना चाहिए.
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