(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
National Tribal Festival: 'आदिवासियों के दरवाजे पर जा रही सरकार', आदि महोत्सव के उद्घाटन के बाद बोले पीएम मोदी
Aadi Mahotsav: आदि महोत्सव के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की अनेकता और भव्यता एकसाथ आ गई है.
Aadi Mahotsav Latest Update: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (16 फरवरी) मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में "आदि महोत्सव" का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, आप सभी को 'आदि महोत्सव' की हार्दिक शुभकामनाएं. ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत की अनेकता और भव्यता आज एक साथ खड़ी हो गई हैं. यह भारत के उस अनंत आकाश की तरह है, जिसमें उसकी विविधताएं इंद्रधनुष की तरह उभर कर सामने आ जाती हैं. यह अनंत विवधिताएं हमें एक भारत - श्रेष्ठ भारत के सूत्र में पिरोती हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, जब विविधताओं को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के धागे में पिरोया जाता है तो भारत की भव्यता दुनिया के सामने उभरती है. यह आदि महोत्सव इसी भावना का प्रतीक है.
पीएम मोदी बोले, यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है, जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है. आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है. जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है. आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है. 21वीं सदी का नया भारत 'सबका साथ सबका विकास' के दर्शन पर काम कर रहा है.
आदिवासियों के बीच मैंने समय बिताया
पीएम मोदी ने कहा, सरकार उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, जिनसे लंबे समय से संपर्क नहीं हो पाया है. मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं. मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है, उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है. आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है. आपके बीच आकर मुझमें अपनों से जुड़ने का भाव आता है.
आदिवासी समाज से भावनात्मक रिश्ता
पिछले 8-9 वर्षों में 'आदि महोत्सव' जैसे आयोजन देश के लिए एक आंदोलन बन गए हैं. मैं भी कई आयोजनों में भाग लेता हूं; मैं ऐसा इसलिए करता हूं, क्योंकि आदिवासी समाज का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत भी है और भावनात्मक भी. आज वैश्विक मंचों से भारत आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है. आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए... आपको रास्ता मिल जाएगा.
आदिवासी समाज की प्रथाओं से सीखा
पीएम मोदी बोले, जब मैं सक्रिय राजनीति में नहीं था, तब मैं आदिवासी समुदायों और परिवारों के पास जाता था और उनके साथ पर्याप्त समय बिताता था. मैंने आदिवासी समाज की प्रथाओं से सीखा भी है और जिया भी है. हम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसका संरक्षण कर सकते हैं इसकी प्रेरणा हमें हमारे आदिवासी समाज से मिलती है. भारत के जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और ये विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं. ट्राइबल प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा बाजार तक आयें, इनकी पहचान बढ़े, इनकी डिमांड बढ़े, सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है.
3 हजार से ज्यादा वन धन विकास केंद्र
पीएम मोदी ने कहा, देश के अलग-अलग राज्यों में तीन हजार से अधिक 'वन धन विकास केंद्र' स्थापित किए गए हैं. आज करीब 90 लघु वन उत्पादों पर सरकार MSP दे रही है. 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्फ ग्रुप आज अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं जिसमें सवा करोड़ से ज्यादा सदस्य हमारे जनजातीय भाई-बहन हैं और इनमें भी बड़ी संख्या हमारी माताओं-बहनों की है. आज सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है. देश में नए जनजातीय शोध संस्थान खोले जा रहे हैं. इन प्रयासों से जनजातीय युवाओं के लिए उनके अपने ही क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं. आदिवासी बच्चे देश के किसी भी कोने में हों, उनकी शिक्षा और उनका भविष्य मेरी प्राथमिकता है.
नई शिक्षा नीति ने आदिवासियों के लिए खोला विकल्प
पीएम मोदी बोले, 2004 से 2014 के बीच केवल 90 'एकलव्य स्कूल' खुले थे, जबकि 2014 से 2022 तक हमने 500 से ज्यादा 'एकलव्य स्कूल' स्वीकृत किए हैं. इनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं. आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है. अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे. देश जब आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता देता है, तो प्रगति के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं. हमारी सरकार में 'वंचितों को वरीयता' के मंत्र को लेकर, देश विकास के नए आयाम को छू रहा है.