नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की उपस्थिति मजबूत हुई है , ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ‘ग्लोबल’ होने की जरूरत है. जयपुर में जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर समाचारपत्र समूह ‘पत्रिका’ की ओर से निर्मित ‘पत्रिका गेट’ का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया द्वारा सरकार की आलोचना स्वाभाविक है और इससे लोकतंत्र मजबूत हुआ है.


मोदी ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की सराहना करते हुए इसे लोगों की ‘अभूतपूर्व ’ सेवा बताया. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के स्थानीय उत्पाद आज ग्लोबल हो रहे हैं. भारत की आवाज भी और ज्यादा ग्लोबल हो रही है. दुनिया भारत को और ज्यादा गौर से सुनती है. हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की मजबूत उपस्थिति है. ऐसे में भारत के मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरूरत है.’’


प्रधानमंत्री ने कहा, ''अक्षर हमारी भाषा की, हमारी अभिव्यक्ति की पहली इकाई होते हैं. संस्कृत में अक्षर का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो, यानि जो हमेशा रहे. हजारों साल पहले जो विचार, जो ज्ञान किसी ऋषि, वैज्ञानिक ने हमें दिया, वो आज भी संसार को आगे बढ़ा रहा है.''


उन्होंने कहा, ''आज text और tweet के इस दौर में ये और ज्यादा जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी गंभीर ज्ञान से दूर न हो जाए. उपनिषदों का ज्ञान व वेदों का चिंतन केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक आकर्षण का ही क्षेत्र नहीं है, वेद और वेदांत में सृष्टि व विज्ञान का भी दर्शन है. आज विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसकी चर्चा हजारों साल पहले हुई है.''


पत्रकारिता और लेखन के महत्व को बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, ''हमारे देश में लेखन का निरंतर विकास भारतीयता और राष्ट्रीयता के साथ हुआ है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लगभग हर बड़ा नाम, कहीं न कहीं से लेखन से भी जुड़ा था. हमारे यहां बड़े-बड़े संत, बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी लेखक और साहित्यकार रहे हैं.''


पीएम मोदी ने कहा, ''किसी भी समाज में समाज का प्रबुद्ध वर्ग, समाज के लेखक या साहित्यकार पथप्रदर्शक की तरह होते हैं, समाज के शिक्षक होते हैं. स्कूली शिक्षा तो खत्म हो जाती है, लेकिन हमारे सीखने की प्रक्रिया पूरी उम्र चलती है. इसमें बड़ी अहम भूमिका पुस्तकों और लेखकों की भी है.''


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