अगले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर आसियान के सभी 10 देशों के प्रमुख होंगे अतिथि
थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई इस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के सदस्य देश हैं.
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मनीला: सभी आसियान राष्ट्रों के प्रमुखों को पीएम नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित किया और सभी ने ये न्यौता स्वीकर कर लिया है. गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों के प्रमुख अतिथि होंगे. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हम अपने साझा मूल्यों और साझी नियति को लेकर भारत आसियान संबंधों की 25वीं वर्षगांठ संयुक्त रूप से मना रहे हैं. इस मौके पर कई गतिविधियों का आयोज किया जाएगा...मैं 25 जनवरी 2018 को भारत-आसियान सृमिति शिखर सम्मेलन में आपके स्वागत को लेकर उत्सुक हूं.’’ पीएम मोदी ने कहा कि 125 करोड़ भारतीय 2018 के गणतंत्र दिवस में आसियान नेताओं के स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
125 crore Indians are looking forward to welcoming @ASEAN leaders to India in January 2018. The presence of ASEAN leaders during our Republic Day celebrations next year is a matter of immense joy for every Indian. pic.twitter.com/dgyyZ3bhud
— Narendra Modi (@narendramodi) November 14, 2017
थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई इस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के सदस्य देश हैं. प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के नेताओं की बैठक में भी भाग लिया.
आरसीईपी में 10 सदस्यीय आसियान और छह देश...भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड हैं. ये सभी मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा की पुरजोर वकालत की. पीएम मोदी की यह अपील हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रमक रुख ने निपटने के लिये भारत, अमेरिका और जापान जैसे बड़े देशों के बीच बढ़ते तालमेल को दिखाती है.
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र के सामने आतंकवाद और उग्रवाद एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए क्षेत्र के देशों के हाथ मिलाने का समय आ गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में नियमों आधारित एक सुरक्षा व्यवस्था ढांचे के लिए आसियान को अपना समर्थन जारी रखेगा. उनके इस कथन को दक्षिण चीन सागर (एसीएस) में चीन के बढ़ते सैन्य दखल के संदर्भ में देखा जा रहा है. चीन के रुख से क्षेत्र के अनेक देश चिंतित हैं.
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘भारत आसियान को आश्वस्त करता है कि क्षेत्र के लिए नियम आधारित सुरक्षा व्यवस्था ढांचे के लिए हम अपना समर्थन जारी रखेंगे. यही क्षेत्र के हित और शांतिपूर्ण विकास के अनुकूल है.’’ इससे एक दिन पहले पीएम मोदी ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता पर चर्चा की.
ऐसा समझा जाता है कि यह मुद्दा पीएम मोदी की जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैलकॉम टर्नबुल के साथ बातचीत में भी उठा. प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए क्षेत्र के देशों के बीच समन्वित प्रयास का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘हमें आतंकवाद के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. हमारे समक्ष एकजुट होकर आतंकवाद को खत्म करने के बारे में सोचने का समय आ गया है.’’
आसियान के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत और आसियान देशों के बीच समुद्री संपर्क हजारों सालों पहले स्थापित हुआ. इससे हमारा पूर्व में व्यापार संबंध रहा. हमें इसे और मजबूत बनाने के लिए साथ मिलकर काम करना है.’’ दस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन आसियान क्षेत्र में एक प्रभावशाली समूह माना जाता है. भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान और आस्ट्रेलिया जैसे कई देश वार्ता भागीदार हैं.
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