नई दिल्लीः प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को बताया कि संसद का नया भवन आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि का मूलभूत अंग होगा और आजादी के बाद पहली बार इसे जनता की संसद बनाने का ऐतिहासिक मौका होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार यानी 10 दिसंबर को संसद के नये भवन की आधारशिला रखेंगे.


पीएमओ के मुताबिक, संसद का नया भवन 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर नये भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप होगा. वर्तमान संसद भवन के निकट बनने वाला नया संसद भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस तथा ऊर्जा के दक्ष उपयोग और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने वाला होगा. त्रिकोणात्मक आकार का नया संसद भवन सुरक्षा की दृष्टि से भी अभेद होगा.


संसद भवन से तीन गुना बड़ा


पीएमओं के अनुसार लोकसभा का आकार वर्तमान लोकसभा से तीन गुना बड़ा होगा और राज्यसभ भी वर्तमान उच्च सदन से बड़ी होगी. उसके मुताबिक नये भवन की आंतरिक साज सज्जा भारतीय संस्कृति के साथ क्षेत्रीय कला, शिल्प और स्थापत्यकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करेगी.


शिलान्यास समारोह में ये लोग होंगे शामिल


भवन निर्माण योजना के अनुसार नये संसद भवन में एक विशाल संविधान कक्ष होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित किया जाएगा. संसद की नई इमारत भूकंप रोधी क्षमता वाली होगी. नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित रहेंगे. इनके अलावा 200 गणमान्य लोग, सांसद, राजदूत और उच्चायुक्त भी इस समारोह में शिरकत करेंगे.


संसद भवन को बनने में लगा था 6 साल का वक्त


संसद का मौजूदा भवन ब्रिटिशकालीन है जो एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था. दोनों ने ही नयी दिल्ली क्षेत्र की योजना और निर्माण की जिम्मेदारी निभाई थी. वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी और इसके निर्माण में छह वर्ष का समय लगा था तथा उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत आई थी.


संसद भवन के नजदीक निर्माण


इस भवन का उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था. गत सितंबर महीने में 861.90 करोड़ रुपये की लागत से नए संसद भवन के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला था. यह नया भवन ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के तहत है और इसे वर्तमान संसद भवन के नजदीक बनाया जाएगा.

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