'जिसकी कोई नहीं सुनता उसके लिए गरीब का बेटा मोदी सेवक बनकर आया', 73वें जन्मदिन पर बोले पीएम मोदी
PM Vishwakarma Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को लॉन्च करते हुए कलाकारों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट भी सौंपे.
PM Vishwakarma: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 73वें जन्मदिन के मौके पर 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को लॉन्च किया. दिल्ली के द्वारका स्थित 'इंडिया इंटरनेशनल कंवेंशन एंड एक्सो सेंटर' (IICC) में आयोजित हुए कार्यक्रम में योजना को लॉन्च किया गया. पीएम मोदी ने कहा कि ये योजना उम्मीद की नई किरण है. उन्होंने विभिन्न कलाकारों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट भी सौंपे. उन्होंने 'यशोभूमि' के तौर पर जाने जाने वाले IICC को भी देश को सौंपा.
पीएम मोदी ने कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भगवान विश्वकर्मा की जयंती है. ये दिन हमारे पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है. मैं समस्त देशवासियों को विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से ही आज प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू हुई है. हाथ के हुनर से, औजारों से काम करने वाले लाखों परिवार के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना उम्मीद की एक नई किरण बनकर आ रही है.
'जिसकी कोई नहीं सुनता उसके लिए गरीब का बेटा मोदी सेवक बनकर आया'
लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में वह सरकार है, जो वंचितों को मौका दे रही है. हमारी सरकार अपने विश्वकर्मा भाई-बहनों का सम्मान बढ़ाने, उनका सामर्थ्य बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए एक सहयोगी बनकर आगे आई है. हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी-ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के तहत मदद दी है.
पीएम ने कहा कि जिसकी कोई नहीं सुनता है, उसके लिए गरीब का बेटा मोदी उनका सेवक बनकर आया है. जब टेक्नोलॉजी और ट्रेडिशन मिलते हैं तो क्या कमाल होता है ये पूरी दुनिया ने जी20 में देखा है.
किस तरह की होगी विश्वकर्मा योजना?
पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी कहीं पर भी पहुंच जाए, मगर विश्वकर्मा भाई-बहनों का काम हमेशा चलता रहता है. इन्हें इनका सम्मान मिलना चाहिए. विश्वकर्मा भाई-बहनों की सहयोगी बनकर ये सरकार आई है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में हस्तकलाओं की मांग बढ़ रही है. विश्वकर्मा योजना के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी. हर रोज 500 रुपये भत्ता भी मिलेगा. आपको 15000 रुपये का टूलकिट भी दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके जरिए बनाए गए सामानों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग का जिम्मा सरकार के पास होगा. सरकार का आग्रह है कि यह टूल मेड इन इंडिया होना चाहिए. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत विश्वकर्मा साथियों को बिना गारंटी के 3 लाख रूपए तक का कर्ज मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस बात को भी सुनिश्चित किया गया है कि इस कर्ज पर ब्याज भी कम मिले. पहली बार में आपको एक लाख रुपये तक कर्ज मिलेगा. फिर इसे चुकाने के बाद 2 लाख रुपये का कर्ज और मिलेगा.
'यशोभूमि के काम में नजर आया विश्वकर्मा भाई-बहनों का तप'
द्वारका में बनाए गए 'यशोभूमि' को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर-यशोभूमि भी मिल रहा है. जिस प्रकार का काम यहां हुआ है, उसमें मेरे विश्वकर्मा भाई-बहनों का तप नजर आता है, तपस्या नजर आती है. 'यशोभूमि' में एक साथ 11 हजार लोग बैठ सकते हैं. इसमें मेन हॉल, ग्रैंड बॉलरूम समेत 8 मंजिला ये इमारत 73 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा में बनी हुई है. इसमें 15 कंवेंशन रूम और 13 मीटिंग रूम भी बनाए गए हैं. यहां न सिर्फ बैठकों का आयोजन हो सकता है, बल्कि सम्मेलन और प्रदर्शनियां भी आयोजित की जा सकती हैं.
दुनिया तक पहुंचेगी विश्वकर्मा साथियों की शिल्प कला
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंन उन हजारों विश्वकर्मा साथियों को बताना चाहता हूं कि गांव-गांव में आप जिस शिल्प का सृजन करते हैं, उसको दुनिया तक पहुंचाने में ये बहुत बड़ा बाइब्रेंट सेंटर, सशक्त माध्यम बनने वाला है. ये आपकी कला, आपके कौशल को दुनिया के सामने शोकेस करेगा। ये भारत के लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से जो साथी भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं, वो हमारे विश्वकर्मा ही हैं. जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही सामाजिक जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की भूमिका होती है.
लोगों से की वोकल फोर लोकल की अपील
लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस विश्वकर्मा दिवस पर हमें लोकल के लिए वोकल होने का प्रण फिर से दोहराना है. अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं. मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करूंगा. वोकल फोर लोकल के जरिए लोगों से गुजारिश की जाती है कि वे अपनी जरूरत का सामान स्थानीय विक्रेताओं से खरीदें. इसमें घरों को सजाने वाली चीजों से लेकर छोटी वस्तुएं तक शामिल होती हैं.
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