नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने 69वें जन्मदिन पर गांधीनगर में अपनी मां हीराबेन से मुलाकात की. इससे पहले, उन्होंने सरदार सरोवर बांध के पूरा भर जाने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह नमामि देवी नर्मदे का उद्घाटन किया. कार्यक्रम के बाद वह मां से मिलने उनके आवास पर पहुंचे और उनके साथ खाना खाया. तस्वीरों में प्रधानमंत्री हाथ जोड़कर मां का अभिवादन करते और मां अपने बेटे को आशीर्वाद देती नजर आयीं.


वैसे तो मोदी को मंगलवार सुबह, सरदार सरोवर बांध के कार्यक्रम से पहले ही मां से मिलने जाना था लेकिन बाद में कार्यक्रम में बदलाव किया गया. बता दें पिछले छह साल में यह चौथी बार है जब प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन के मौके पर मां से मिलकर आशीर्वाद लिया. पीएम मोदी ने अभिनेत्रा अक्षय कुमार के साथ इंटरव्यू में बताया था कि वो जब भी अपनी मां से मिलते हैं वे उन्हें सवा रुपये देती हैं.


अन्य कार्यक्रमों में भीयसामिल हुए पीएम मोदी
जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री ने अन्य कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया. यहां पीएम मोदी ने सरदार सरोवर डैम से जुड़ी अलग अलग परियोजनाओं का जायजा लिया. इको पार्क गए, रॉफ्टिंग देखी, डियर पार्क का जायजा लिया. बटरफ्लाई पार्क में तितलियां उड़ाईं. इसके बाद पीएम मोदी आज अपने गृह नगर गुजरात में नर्मदा जिले के केवड़िया में नमामि देवी नर्मदे महोत्सव में शामिल हुए.


पीएम मोदी ने सरदार सरोवर बांध पर मां नर्मदा की पूजा की और सरदार सरोवर बांध के लिए पूरे देश को बधाई भी दी. पीएम ने कहा, ''आज ये ऐसा अवसर है जिसका लाभ मध्य प्रदेश को, महाराष्ट्र को, राजस्थान को और गुजरात को , इन चार-चार राज्यों के लोगों को, किसानों को , इन राज्यों की जनता को इस योजना का लाभ मिल रहा है.''


जम्मू-कश्मीर से भेदभाव को पूरे देश ने भुगता है- मोदी
एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का जिक्र किया और कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से 70 साल तक भेदभाव हुआ, लेकिन अब हम वहां विकास करने में सफल होंगे. मोदी ने कहा कि आज सरदार पटेल के सपने सच हो रहे हैं. जनसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘’एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सरदार के सपने को आज देश साकार होते हुए देख रहा है. आज़ादी के दौरान जो काम अधूरे रह गए थे, उनको पूरा करने का प्रयास आज देश कर रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘’जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को 70 साल तक भेदभाव का सामना करना पड़ा. इसका दुष्परिणाम, हिंसा और अलगाव के रूप में, अधूरी आशाओं और आकांक्षाओं के रूप में पूरे देश ने भुगता है.’’