SCO Summit 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन(Recep Tayyip Erdoğan) से मुलाकात की और इस दौरान दोनों ने विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. दोनों नेता एससीओ के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए समरकंद में हैं. 


इस मुद्दों पर हुई चर्चा


पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से तुर्की और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने के साथ-साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने को लेकर चर्चा की. वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों नेताओं ने बैठक में उपयोगी बातचीत की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और द्विपक्षीय व्यापार में हाल में हुए फायदों को सराहा. क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.’’


कश्मीर को लेकर कहा


पाकिस्तान के करीबी सहयोगी देश तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्रों में अपने भाषण में बार-बार कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया है. भारत ने उनके बयानों को ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा था कि तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना और अपनी नीतियों में अधिक गहनता से इसे व्यक्त करना सीखना चाहिए.






पीएम मोदी ने संबोधन में क्या कहा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड -19 महामारी और यूक्रेन संकट के कारण पैदा हुए व्यवधानों को दूर करने के लिए शुक्रवार को एससीओ से भरोसेमंद एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने का आह्वान किया.


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बेहतर संपर्क (कनेक्टिविटी)और सदस्य देशों द्वारा पारगमन सुविधाओं का 'पूर्ण अधिकार' प्रदान किया जाना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अहम हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के इस साल 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है और भारत एससीओ के सदस्य देशों के बीच ‘वृहद सहयोग एवं परस्पर विश्वास' का समर्थन करता है.


विश्व भर में खाद्य असुरक्षा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस समस्या का एक संभावित समाधान मोटे अनाज (मिलेट) की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि मिलेट एक ऐसा ‘सुपरफूड’ है, जो न सिर्फ एससीओ देशों में, बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है, और खाद्य संकट से निपटने के लिए एक पारंपरिक, पोषक और कम लागत वाला विकल्प है.’’


आर्थिक सहयोग के संदर्भ में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘जब पूरा विश्व महामारी के बाद आर्थिक संकट से उबरने की चुनौतियों का सामना कर रहा है, एससीओ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. एससीओ के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं, और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या इन देशों में निवास करती है.’’


एससीओ क्या है


रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे. समरकंद सम्मेलन में ईरान को एससीओ के स्थायी सदस्य का दर्जा दिया जा सकता है.


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