नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में एनडीएन कैंडिडेट हरिवंश को हासिल हुई जीत पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. बधाई की बाद मोदी ने उनकी जमकर तारीफ करते हुए कहा कि बलिया से आने वाले हरिवंश को पहले से पता था कि चंद्रशेखर पीएम पद से इस्तीफा देने वाले हैं. लेकिन पत्रकार रहते हुए उन्होंने ये ख़बर अपने अख़बार को नहीं दी और अपने पद की गरिमा बरकरार रखी.


पीएम ने हरिवंश की तारीफों का सिलसिला जारी रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. उन्होंने याद दिलाया कि हरिवंश जी वराणसी के विद्यार्थी रहे हैं. पीएम ने ये भी कहा कि वो कलम के धनी हैं. हरिवंश की भविष्य की भूमिका पर ज़ोर देते हुए मोदी ने कहा कि अब सबको 'हरि' कृपा चाहिए होगी और अब सबकुछ 'हरि' भरोसे है.


एनडीए उम्मीदवार हरिवंश बने नए उपसभापति
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में सत्ताधरी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने उम्मीदवार के जीत के साथ ही एक बार फिर विपक्षी एकता को खंडित किया है. नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को 125 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को महज़ 105 मत ही मिले.


इस तरह एडीएन ने यूपीए के उम्मीदवार को 25 मतों से हरा हरा दिया. राज्यसभा में इस वक्त 244 सांसद हैं, लेकिन  230 सांसदों ने ही वोटिंग में हिस्सा लिया. एनडीए के उम्मीदवार को बहुमत के आंकड़े 115 से 20 वोट ज्यादा मिले.


बता दें कि 1977 से लगातार कांग्रेस का उम्मीदवार ही उपसभापति बनता था, इस लिहाज से एनडीए की ये जीत बेहद अहम मानी जारी है. हरिवंश की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान बीजेडी का रहा जिसने तमाम मतभेदों को बावजूद एनडीए के उम्मीदवार को वोट किया.


कौन हैं हरिवंश सिंह?
हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था. हरिवंश जेपी आंदोलन से खासे प्रभावित रहे हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की और अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की थी.


बैंक ऑफ इंडिया में भी की नौकरी
इसके बाद हरिवंश को साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग की जिम्मेदारी सौंपी गई. हरिवंश साल 1981 तक धर्मयुग के उपसंपादक रहे. इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ उन्होंने साल 1981 से 1984 तक हैदराबाद और पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की. साल 1984 में एक बार फिर हरिवंश ने पत्रकारिता में वापसी की और साल 1989 तक आनंद बाजार पत्रिका की सप्ताहिक पत्रिका रविवार में सहायक संपादक रहे.


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साल 2014 में पहली बार संसद पहुंचे हरिवंश
90 के दशक में हरिवंश बिहार के एक बड़े मीडिया समूह से जुड़े, जहां पर उन्होंने दो दशक से ज़्यादा वक़्त तक काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान हरिवंश ने बिहार से जुड़े गंभीर विषयों को प्रमुखता से उठाया. इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए इसके बाद हरिवंश को जेडीयू का महासचिव बना दिया गया. साल 2014 में जेडीयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए नामांकित किया और इस तरह से हरिवंश पहली बार संसद तक पहुंचे.


राजपूत जाति से आते हैं हरिवंश
हरिवंश के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दिल्ली से लेकर पटना तक मीडिया में नीतीश कुमार की बेहतर छवि बनाने में बड़ा योगदान दिया है. हरिवंश राजपूत जाति से आते हैं और जानकारों की माने तो हरिवंश को उपसभापति का उम्मीदवार बनाकर एनडीए ने बिहार में राजपूत वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश भी की.


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