PFI के निशाने पर थी पीएम मोदी की पटना रैली, NIA की FIR में बड़ा खुलासा
PM Modi was on target of PFI: पीएफआई के खिलाफ एनआईए की एफआईआर से खुलासा हुआ है कि इस संगठन से जुड़े लोगों ने पिछले दिनों पीएम मोदी को निशाना बनाने की योजना बनाई थी.
NIA FIR against PFI: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े लोगों के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) की हालिया देशव्यापी कार्रवाई में खुलासा हुआ है. इस संगठन का मंसूबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सभा में गड़बड़ी करने का था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी के दौरान पीएफआई से जुड़े 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार किए गए लोगों में पीएफआई के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन और सेक्रेटरी और एसडीपीआई (SDPI) के मुखिया भी शामिल हैं.
एबीपी न्यूज के पास PFI के खिलाफ दर्ज की गई हाल की दो एफआईआर की कॉपी हैं, जिनसे खुद को नव-सामाजिक बताने वाले संगठनके मंसूबे जाहिर होते हैं. एनआईए ने 22 जुलाई को फुलवारी शरीफ आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. एनआईए ने पटना पुलिस से यह केस लिया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पीएफआई के सदस्यों ने 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा को बाधित करने की योजना बनाई थी. एफआईआर में 26 लोगों के नाम हैं, जिन पर आरोप है कि वे पीएम मोदी के दौरे को बाधित करने की योजना बना रहे थे.
क्या कहा गया है FIR में?
FIR के मुताबिक, पीएम मोदी की बिहार यात्रा के दौरान, कुछ संदिग्ध लोग 11 सितंबर को फुलवारी शरीफ इलाके में इकट्ठा हुए थे. गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप दो लोगों अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को पकड़ा गया. छापेमारी के दौरान तलाशी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए. दस्तावेज भारत विरोधी गतिविधियों से संबंधित थे."
एजेंसी ने आईपीसी की धारा 120, 120बी, 121, 121ए (आपराधिक साजिश), 153A और 153बी (धर्म, जाति, आदि के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 34 (सामान्य इरादे) में केस दर्ज किए हैं.
एनआईए की रेड के खिलाफ पीएफआई का हल्ला बोल
पीएफआई पर एनआईए की छापेमारी के खिलाफ संगठन के नेताओं ने कल केरल में राज्यव्यापी बंद बुलाया था. बंद के दौरान हिंसा की कई छिटपुट घटनाएं देखी गई थीं. केरल हाई कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बंद की निंदा की थी और कहा था कि बिना इजाजत कोई यह आह्वान नहीं कर सकता है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने बंद का आह्वान किया और जो लोग हिंसा में शामिल थे.
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