नई दिल्ली: आज शाम संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग के बालयोगी सभागार में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और सहयोगी लेखक रवि दत्त बाजपेई की लिखी किताब ''चंद्रशेखर- द लास्ट आइकन ऑफ़ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स'' का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.


कौन-कौन मौजूद रहा
मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा राज्यसभा में नेता विपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद , उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपसभापति हरिवंश मौजूद थे.


कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आज़ाद ने साधा निशाना
कार्यक्रम की शुरुआत में बतौर गेस्ट ऑफ़ आनर कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा कि वो जिस तरह की समाजवादी राजनीति करते थे उसकी तुलना में आज राजनीति का स्तर काफ़ी गिर गया है. आज केवल पद प्रतिष्ठा की राजनीति है विचारों की नहीं.


पीएम मोदी ने क्या कहा
सम्भवतः ग़ुलाम नबी आज़ाद को लक्ष्य करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज राजनीतिक छुआछूत बहुत तेज़ी पर है. ऐसे में चंद्रशेखर जी पर लिखना हिम्मत की बात है, हो सकता है अब उन पर तमाम लेबल लगाए जाएं.



एक बेहद रोचक क़िस्सा
पीएम मोदी ने चंद्रशेखर जी को याद करते हुए एक दिलचस्प वाक़या याद करते हुए बताया कि ''मैं और भैरो सिंह शेखावत कहीं जा रहे थे . एयरपोर्ट पर चंद्रशेखर जी मिल गए. लेकिन उन्हें दूर से ही देख कर भैरो जी ने अपनी जेब का सारा सामान अचानक मेरी जेब में डाल दिया क्योंकि चंद्रशेखर जी पान पराग गुटका विरोधी थे. आते ही उन्होंने भैरो जी की जेब में हाथ डाला. वहां उन्हें कुछ नहीं मिला. बाद में भैरो जी ने अपना सामान मेरी जेब से वापस निकाल लिया. अलग-अलग विचारधारा के होने के बावजूद चंद्रशेखर जी का ये प्यार अद्भुत था.''


असली काम पर चर्चा नहीं हो पाती
पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रशेखर जी से मेरी आख़री मुलाक़ात में भी वो देश की समस्याओं को लेकर चिंतित थे. चंद्रशेखर ने गांव किसान को ध्यान में रख कर पद यात्राएं कीं. लेकिन उसके लिए उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया. उन्हें सिर्फ़ पूंजीपतियों के पैसे आदि से जोड़ कर दिखाया गया. मोरार जी भाई क्या पीते हैं बस इसी की चर्चा रही उनके कार्यों को भुला दिया गया.



पीएम ने दी ख़बर
पीएम मोदी ने कहा कि लेकिन ''मैंने ठान लिया है कि अब तक जितने प्रधानमंत्री हुए हैं देश के सभी का एक संग्रहालय बनेगा. जिसमें उनसे जुड़ी छोटी-बड़ी सभी जानकरियां होंगी.''


किताब के बारे में
रूपा पब्लिकेशन से अंग्रेज़ी में लिखी इस पुस्तक का हिंदी संस्करण भी जल्द ''चंद्रशेखर- विचारों की राजनीति के अंतिम नायक '' नाम से प्रकाशित होगी. ये पुस्तक पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की प्रामाणिक जीवनी है. जो चंद्रशेखर से जुड़े वैचारिक पहलुओं के साथ उनसे जुड़े भ्रमों का भी निदान करती है. लेखक हरिवंश के अनुसार देश के एलीट क्लास यानी अंग्रेज़ी लेखक व इतिहासकार चंद्रशेखर जैसे हिंदी बेल्ट के महत्वपूर्ण नेताओं को महत्व नहीं देते- ये भी इस पुस्तक को लिखे जाने के पीछे एक प्रेरक प्रसंग रहा. लम्बे समय तक चंद्रशेखर के साथ काम करने के अलावा हरिवंश पीएमओ में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ काम भी कर चुके हैं.