PM Modi On Opposition: पीएम मोदी का विपक्षी पार्टी पर निशाना, कहा- दल और व्यक्ति की मुखालफत को देश के विरोध में न बदलें
Harmohan Singh Yadav News: हरमोहन सिंह यादव ने 31 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. मुलायम सिंह यादव को सपा प्रमुख बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.
Harmohan Singh Yadav Death Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक खास कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर विकास कार्यों में ‘अड़ंगा’ डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले.
उन्होंने कहा, “हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थ को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हो गया है. विपक्षी दल कई बार तो सरकार के कामकाज में सिर्फ इसलिए अड़ंगा डालते हैं, क्योंकि जब वे सत्ता में थे, तब अपने द्वारा लिए गए फैसलों को लागू नहीं कर पाए. अब अगर इन फैसलों का क्रियान्वयन होता है तो वे उसका विरोध करते हैं. देश के लोग इसे पसंद नहीं करते.”
पीएम मोदी ने नसीहत देते हुए कहा, “यह हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले. विचारधाराओं का अपना स्थान है और होना भी चाहिए. राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी हो सकती हैं, लेकिन देश सबसे पहले है.”
उन्होंने कहा, “लोहिया जी का मानना था कि समाजवाद समानता का सिद्धांत है. वह सतर्क करते थे कि समाजवाद का पतन उसे असमानता में बदल सकता है. हमने भारत में इन दोनों परिस्थितियों को देखा है.”
पीएम मोदी ने कहा, “हमने देखा है कि भारत के मूल विचारों में समाज वाद-विवाद का विषय नहीं है. हमारे लिए समाज हमारी सामूहिकता और सहकारिता की संरचना है. समाज हमारा संस्कार है, संस्कृति है, स्वभाव है. इसलिए लोहिया जी भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य की बात कहते थे. उन्होंने रामायण मेला शुरू कर हमारी विरासत और भावनात्मक एकता के लिए जमीन तैयार की थी.”
हरमोहन सिंह यादव को यूं किया याद
गौरतलब है कि हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि पर इस कार्यक्रम का आयोजन उनके बेटे और सपा के राज्यसभा सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव ने किया था. सुखराम के बेटे मोहित यादव पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे.
प्रधानमंत्री ने कहा, “हरमोहन सिंह यादव लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने विधान परिषद सदस्य, विधायक, राज्यसभा सदस्य और अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया. हरमोहन सिंह यादव के चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया के साथ घनिष्ठ संबंध थे.”
उन्होंने कहा कि हरमोहन सिंह यादव ने अपने बेटे एवं विधान परिषद के पूर्व सभापति सुखराम सिंह के साथ कानपुर और उसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों के जीवन की रक्षा करने में वीरता के प्रदर्शन के लिए हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. प्रधानमंत्री के सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य के पुण्यतिथि कार्यक्रम को संबोधित करने के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.
'एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक अवसर'
उन्होंने कहा, “मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस कार्यक्रम में शामिल होने के वास्ते कानपुर आऊं, लेकिन आज हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक अवसर भी है. आज हमारी नयी राष्ट्रपति जी (द्रौपदी मुर्मू) का शपथ ग्रहण हुआ है. आजादी के बाद पहली बार आदिवासी समाज की एक महिला राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही है. यह हमारे लोकतंत्र की ताकत और हमारे सर्व समावेशी विचार का जीता-जागता उदाहरण है.”
उन्होंने सामाजिक जीवन में हरमोहन सिंह यादव के आदर्शों की सराहना करते हुए कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-टूटेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए. यही हमारे लोकतंत्र की आत्मा है. व्यक्ति से बड़ा दल, दल से बड़ा देश है. दलों का अस्तित्व लोकतंत्र की वजह से ही है और लोकतंत्र का अस्तित्व देश की वजह से है.”
कांग्रेस पर निशाना
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारे देश में अधिकांश पार्टियों ने विशेष रूप से सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने इस विचार को निभाया भी है. मुझे याद है, जब 1971 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब सभी प्रमुख पार्टियां सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो गई थीं. जब देश में पहला परमाणु परीक्षण किया गया तो सभी पार्टियां सरकार के साथ डटकर खड़ी हो गई थीं. लेकिन आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतंत्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी. चौधरी हरमोहन सिंह यादव भी उस संघर्ष के जुझारू सैनिक थे.”
पीएम मोदी ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में यादव के प्रतिरोध का जिक्र करते हुए कहा, “हरमोहन सिंह यादव ने न केवल उस संहार के खिलाफ राजनीतिक निर्णय लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए सामने आकर लड़ाई भी लड़ी. अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कितने ही सिख परिवारों की जान बचाई. देश ने भी उनके नेतृत्व को पहचाना और उन्हें शौर्य चक्र दिया गया.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हरमोहन सिंह यादव ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में लोहिया जी के विचारों को उत्तर प्रदेश और कानपुर की धरती से आगे बढ़ाया. उन्होंने देश और प्रदेश की राजनीति में जो योगदान दिया, उससे आने वाली पीढ़ियों को लगातार मार्गदर्शन मिल रहा है.” उन्होंने कहा, “चौधरी हरमोहन सिंह ने ग्राम सभा से राज्यसभा तक का सफर तय किया और एक समय उनके गांव ‘मेहरबान सिंह का पुरवा’ से उत्तर प्रदेश की राजनीति को दिशा मिलती थी.”
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