नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वाड समूह के पहले शिखर सम्मेलन में कहा कि गठबंधन विकसित हो चुका है और टीका, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के इसके एजेंडे में शामिल होने से यह वैश्विक भलाई की ताकत बनेगा.


चार देशों के क्वाड समूह के डिजिटल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त एंव समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा, 'हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त एंव समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज हमारे एजेंडा में टीका, जलवायु परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जो ‘क्वाड’ को वैश्विक भलाई की ताकत बनाते हैं.'


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ चार देशों समूह के नेताओं के पहले ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने कहा, 'मैं इस सकारात्मक दृष्टिकोण को भारत के वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन के विस्तार के तौर पर देखता हूं, जो कि पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है.'


प्रधानमंत्री ने कहा कि साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पहले से कहीं अधिक साथ मिलकर, निकटता से काम करेंगे. उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा, 'आज का सम्मेलन दिखाता है कि ‘क्वाड’ विकसित हो चुका है और यह अब क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा.'


वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए ‘क्वाड’ महत्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है. उन्होंने कहा, 'हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं... हमारा क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय कानून से संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी दबाव से मुक्त हैं लेकिन मैं हमारी संभावना के बारे में आशावादी हूं.'


बाइडेन ने कहा, 'क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होने जा रहा है और मैं आने वाले वर्षों में आप सभी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं.' बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, 'आपको देख कर बहुत अच्छा लगा.'


जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत की सदस्यता वाले क्वाड समूह के नेताओं की बैठक में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित, सस्ते टीके निर्यात करने में भारत की निर्माण क्षमता बढ़ाने का मुद्दा अहम रहा.


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