न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य न बनाए जाने से परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ईंधन की आवश्यक आपूर्ति बाधित हो रही है. अगर यह समस्या हल कर ली जाती है तो भारत बाकी विश्व के लिए आदर्श बन सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि एक चुनौती जो अब भी हमारे सामने मुंह बाए खड़ी है वह परमाणु ऊर्जा है.
पीएम मोदी ने यहां ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम में सवाल और जवाब के सत्र के दौरान कहा, ‘‘हम परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सदस्य नहीं हैं और इसके कारण हमें परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ईंधन की आवश्यक आपूर्ति नहीं मिलती है.’’उन्होंने कहा कि अगर इस मोर्चे पर भारत को समाधान मिल जाता है तो देश बाकी की दुनिया के लिए इस क्षेत्र में आदर्श बन सकता है.
गौरतलब है कि चीन ने 48 सदस्यीय इस समूह में भारत की सदस्यता के रास्ते में हमेशा रोड़े अटकाए हैं. मई 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत द्वारा आवेदन देने के बाद से ही चीन इस पर जोर देता रहा है कि केवल वे देश ही इस संगठन का हिस्सा बन सकते हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर कर रखे हैं. भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हुए हैं.
NSG में शामिल होना क्यों ज़रूरी है?
दरअसल हमारे देश में उर्जा की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं. सरकार मानती है कि परमाणु उर्जा के उत्पादन को बढ़ाना बेहतर विकल्प है. इसीलिए भारत का एनएसजी में शामिल होना जरूरी है. बता दें कि अगर भारत एनएसजी में शामिल होता है तो उसे दवाई से लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने तक की तकनीक बेहद आसानी से उपलब्ध होगी. भारत के पास अपनी स्वदेशी तकनीक भी है. लेकिन एनएसजी के सदस्य के तौर पर दूसरे देशों के पास मौजूद अत्याधुनिक तकनीक हासिल करने में किसी तरह की कोई मुश्किल नहीं आएगी.