पड़ताल: प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना की रफ्तार सुस्त, अधूरे पड़े हैं 44 फीसदी काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में लाल किले के प्राचीर से घोषणा की थी. इसके बाद देश के तमाम सांसदों ने गांवों के कायापलट के लिए इसका चयन किया. लेकिन जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके हिसाब से इस योजना का हाल खस्ताहाल है. इन गांवों में 44 फीसदी काम अधूरे हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ को बड़े ही जोर-शोर के साथ लॉन्च किया गया था. योजना की घोषणा पीएम मोदी ने 2014 में 15 अगस्त के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में की थी. लेकिन वर्तमान में यह योजना अपने लक्ष्य से काफी दूर है. इसके तहत कुल 1484 गांवों को विकास कार्यों के लिए चुना गया जिसमें से 1297 गांवों में विकास के जो कार्य शुरू किए गए वह आधे ही पूरे हो पाए हैं. बाकी के गांवों ने विकास कार्यों का डेटा अभी अपलोड नहीं किया है. आंकड़ों के मुताबिक 44 फीसदी विकास कार्य इन गांवों में अधूरे हैं.
पीएम के द्वारा शुरू की गई इस योजना का मकसद गांवों के कायापलट का था जिससे गांवों में तमाम जरूरी सुविधाएं उलब्ध हो सके. सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट ‘saanjhi.gov.in’ पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, तीन जुलाई 2019 तक सांसदों ने इस योजना के तहत 1484 ग्राम पंचायतों की पहचान की थी जिसमें से 1297 ग्राम पंचायतों ने विकास 68,407 विकास परियोजनाओं का ब्यौरा अपलोड किया है.
इन गांवों में 68,407 परियोजनाएं की गई थी शुरू
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘‘सांसद ग्राम योजना के तहत 68,407 परियोजनाओं में से 38,021 परियोजनाएं इन गांवों में पूरी हो चुकी हैं. यह कुल परियोजना का 56 फीसदी है.’’ बता दें कि पीएम मोदी के 2014 में 15 अगस्त के दिन इस योजना से संबंधित संबोधन के बाद आधिकारिक रूप से इसे 11 अक्टूबर 2014 को लॉन्च किया गया था. योजना के तहत प्रत्येक सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना था. योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को तीन गांव गोद लेने थे और 2019 से 2024 के बीच पांच गांव गोद लेने की बात थी.
बता दें कि इस योजना के लिए अलग से धन का कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को अपने सांसद निधि के कोष से ही इसका विकास करना होता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत अरूणाचल प्रदेश, बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, केरल महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब में सांसद आदर्श ग्राम योजना के कार्यो का क्रियान्वयन खराब पाया गया है. अरूणाचल प्रदेश में गोद ली गयीं 7 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 216 परियोजनाओं में से सिर्फ 28 योजनाएं ही पूरी हुई हैं जबकि असम में गोद ली गयी 35 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 2,229 परियोजनाओं में से केवल 580 योजनाएं ही पूरी हो सकीं.
दिल्ली के आदर्श गांवों का डेटा भी अपलोड नहीं किया गया है
बिहार में ऐसी 82 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 4817 परियोजनाएं में से 1614 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं. इसी प्रकार, दिल्ली में 13 ग्राम पंचायतों में कोई ग्राम विकास योजना अपलोड नहीं की गयी है. हिमाचल प्रदेश में गोद ली गयई 14 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 1291 परियोजनाओं में से 420 योजनाएं ही पूरी हुई हैं. कर्नाटक में ऐसी 57 ग्राम पंचायतों में 9,650 ग्राम विकास योजनाओं में से 5,085 योजनाएं पूरी हुई. आंकड़ें बताते हैं कि केरल में गोद ली गयीं 82 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 4,270 परियोजनाओं में से 1,963 योजनाएं पूरी हुई.
ओडिशा में ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या 47 थी जहां 941 ग्राम विकास योजनाओं में से 170 योजनाएं पूरी हुई. पंजाब में 32 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 815 परियोजनाओं में से सिर्फ 257 योजनाएं पूरी हुई. बाकी राज्यों का हाल भी कोई अधिक बेहतर नहीं है. पश्चिम बंगाल में गोद ली गयीं ग्राम पंचायतों की संख्या 9 थी जहां 61 ग्राम विकास योजनाएं बनी लेकिन इनमें से कोई योजना पूरी नहीं हुई हैं.
इन राज्यों का प्रदर्शन बेहतर
तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसे राज्यों में इस योजना का क्रियान्वयन काफी अच्छा रहा है. तमिलनाडु में गोद ली गयीं ग्राम पंचायतों की संख्या 159 थी जहां 5,282 ग्राम विकास योजनाओं में से 4,591 योजनाएं पूरी हुई. तेलंगाना में 45 ग्राम पंचायतें गोद ली गई जहां 1765 योजनाओं में से 893 योजनाएं पूरी हुई हैं. गुजरात में 75 ग्राम पंचायतें गोद ली गईं जहां 1551 ग्राम विकास योजनाओं में से 1241 योजनाएं ही पूरी हुई हैं. मध्यप्रदेश में ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या 68 थी जहां 2600 ग्राम विकास योजनाओं में 1,765 योजनाएं पूरी हुई हैं.
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