PM मोदी की आंदोलनकारी किसानों से अपील- बहकावे में ना आएं, सरकार बातचीत के लिए तैयार, कृषि बिल की खामियों को दूर करेंगे
राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान अलग अलग राजनीतिक दलों ने आंदोलन से जुड़ी हुई तो कई बातें कहीं, लेकिन तीनों कृषि कानूनों में खामियां क्या है और किस चीज को लेकर के उनका विरोध है, उस पर किसी ने कुछ भी नहीं कहा.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन से लेकर कोरोना से लड़ाई और वैक्सीन से जुड़ी कई बातों का ज़िक्र किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को एक बार फिर भरोसा दिलाया कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं. प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि तीनों कृषि कानूनों का सीधा फायदा देश के 12 करोड़ से ज्यादा छोटे किसानों को मिलने वाला है. रही बात कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन की तो सरकार आंदोलनकारियों से बातचीत को तैयार है और अगर उनके कोई सुझाव हैं, उसके आधार पर बदलाव के लिए भी तैयार हैं.
राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान अलग अलग राजनीतिक दलों ने आंदोलन से जुड़ी हुई तो कई बातें कहीं, लेकिन तीनों कृषि कानूनों में खामियां क्या है और किस चीज को लेकर के उनका विरोध है, उस पर किसी ने कुछ भी नहीं कहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में छोटे किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है और फिलहाल आंकड़े के मुताबिक 12 करोड़ से ज्यादा ऐसे छोटे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है और यह जो कानून लाए गए हैं, इसका सीधा फायदा ऐसे ही छोटे किसानों को मिलेगा.
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही पिछली सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और कर्ज माफी की योजना पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कर्ज माफी जैसी योजना का फायदा सिर्फ बड़े किसानों को ही मिलता था और छोटे किसान उससे भी वंचित रह जाते थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्ज माफी ही नहीं, बल्कि किसान बीमा योजना का फायदा भी पहले सिर्फ बड़े किसानों को ही मिलता था, लेकिन मोदी सरकार ने कोशिश की है कि इसका फायदा छोटे से छोटे किसानों को मिले.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में एक बार फिर किसानों को भरोसा दिलाया है कि तीनों कृषि कानूनों से उनको किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. पीएम ने इसके साथ ही एमएसपी को लेकर भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पहले भी था, अभी भी है और आगे भी यूं ही जारी रहेगा. प्रधानमंत्री ने सदन से आंदोलनकारी किसानों को एक बार फिर बातचीत का न्योता दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों से बातचीत को तैयार है. किसान आएं अपनी बात रखें और अगर कानून में कहीं कोई खामी है तो इस कानून को बेहतर बनाने के लिए जो भी मुमकिन होगा सरकार वह करने को तैयार हैं.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने आंदोलनकारियों को भड़काने वाले और हर एक आंदोलन का हिस्सा बनने वाले लोगों के लिए आंदोलनजीवी जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया. प्रधानमंत्री ने हालांकि किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन यही बताने की कोशिश की कि देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो आंदोलनजीवी भी हैं, जिनका काम यह है कि देश के किसी भी हिस्से में अगर कोई भी आंदोलन चल रहा हो तो वो वहां पहुंच जाएं और उस आंदोलन को लंबा खींचते रहें.
प्रधानमंत्री ने इस दौरान सिख समुदाय के लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा की सिख समुदाय हमारे देश का एक अहम हिस्सा है. प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय के लोगों के लिए भाई जैसे शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि कुछ लोग सिख भाइयों के दिमाग में कुछ गलत चीजें भरने में लगे हैं, लेकिन देश सिख भाइयों के साथ खड़ा है, क्योंकि इस देश के लिए सिख समुदाय के लोगों ने बहुत कुछ किया है. पीएम ने कहा कि सिख समुदाय के लोगों ने गुरुओं की महान परंपरा को आगे बढ़ाया है. प्रधानमंत्री ने इसी के साथ ही सिख समुदाय के लोगों से भी अपील की कि कुछ लोग उनको गुमराह करने का प्रयास जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनको गुमराह नहीं होना चाहिए और जिस तरीके से यह कोशिश की जा रही है उसको लेकर हम सबको चिंतित होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही देश के खिलाफ माहौल बनाने वाले लोगों के लिए एक नए शब्द का इस्तेमाल भी किया यह शब्द है एफडीआई यानी फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को इस एफडीआई से बचाना होगा क्योंकि ऐसे लोगों का मकसद ही है कि देश में हालात खराब कर माहौल को बिगाड़ा जाए और देश को बदनाम किया जाए.
इस सब के बीच प्रधानमंत्री ने देश ने जिस तरह से कोरोना से जंग लड़ी है उसके लिए देश के लोगों का अभिवादन और शुक्रिया भी अदा किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पूरी दुनिया में यही हड़कंप मचा था कि इस महामारी से भारत कैसे निकलेगा और भारत में ये महामारी कितनी बड़ी तबाही मचा सकती है तो उस दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ. लिहाजा कोरोना से लड़ाई जीतने का श्रेय किसी एक व्यक्ति या सरकार को नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह जीत हिंदुस्तान की जीत है.