नई दिल्ली: कर्नाटक में वोटिंग में हफ्ते भर का वक्त बचा है. ऐसे में यहां सियासी महाभारत चरम पर है. वार पलटवार का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी पर बड़ा हमला किया है. पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी तीखा हमला किया है.


पीएम मोदी ने दलितों के सम्मान का मुद्दा उठाया और सोनिया गांधी पर सीधा हमला किया. पीएम ने कहा कि दलित के बेटे राष्ट्रपति बने, लेकिन शिष्टाचार के नाते ही सही सोनिया गांधी ने एक बार भी राष्ट्रपति से मुलाकात नहीं की.


इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात करने में सात महीने का वक्त लगा दिया.


पीएम मोदी का सोनिया गांधी पर हमला 


पीएम मोदी ने कहा, “मैं आज जो बात करना चाहता हूं, जरा गंभीर बात बताना चाहता हूं. मैं पूछना चाहता हूं और देश की जनता समझे. कांग्रेस पार्टी का अहंकार सातवें आसमान पर पहुंचा है. एक गरीब मां का बेटा, गांव में पला बढ़ा बेटा, एक दलित का बेटा... इस देश का राष्ट्रपति चुना गया, उनका फर्ज बनता था, एक दलित राष्ट्रपति बने हैं तो उनसे मिलें.. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दलित राष्ट्रपति बने हैं, लेकिन इनको पसंद नहीं आया, अभी तक एक साल हो गया. सोनिया गांधी ने मुलाकात नहीं की.”



इसके साथ ही अपना हमला जारी रखते हुए मोदी ने कहा, “मैडम सोनिया को हमारे देश के राष्ट्रपति को कर्टसी कॉल के लिए फुर्सत नहीं मिली. उनके राजकुमार बेबी सात महीने के बाद मेमोरैंडम देने के लिए गए थे."


कांग्रेस के दलित प्रेम पर अपने सवाल को और गहरा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भाई देश का राष्ट्रपति एक दलित है. राष्ट्रपति एक संस्था है. कांग्रेस पार्टी एक जिम्मेदार दल रहा है. 60 साल तक सत्ता भोगी है. उनमें इतना विवेक नहीं है और दलितों की बातें करने लगे हैं.


राहुल गांधी पर भी साधा निशाना 


राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात करने में सात महीने का वक्त लगा दिया. लेकिन वो भी मुलाकात नहीं थी, बल्कि मेमोरैंडम देने गए.


क्या है दलितों से जुड़ा मामला?


आपको बता दें कि मोदी सरकार इस वक़्त दलित सम्मान को लेकर बैकफुट पर है. ये माहौल बन चुका है कि जब से मोदी सरकार आई है दलितों पर हमले तेज़ हुए हैं और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. गुजरात के उना में दलितों पर हमले हों या हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित छात्र वेमुला की खुदकुशी का मामला. महाराष्ट्र के कोरेगांव में दलितों पर हमला. हर मामले में बीजेपी की सरकारें निशाने पर रहीं. लेकिन बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के जरिए एससी/एसटी एक्ट के तहत केज दर्ज होने पर फौरी गिरफ्तारी पर रोक के फैसले के बाद मोदी सरकार पर हमले और तेज़ हुए हैं. मोदी सरकार के खिलाफ ये भी माहौल बना हुआ है कि वो आरक्षण के खिलाफ है.