क्या था 'Y2K' संकट, जानिए- क्यों पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में किया इसका जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान देशवासियों को 'वाई2के संकट' का उदाहरण देकर मनोबल दिया. इस संकट में भारत ने दुनिया की मदद की थी. इसके बाद से भारती आईटी कंपनियों की पूरी दुनिया में मजबूती मिली. जानिए क्या था ये 'वाई2के संकट' और भारत ने इसे मिटाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती रात देश को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने लॉकडाउन-4 को लागू करने का इशारा किया. देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने एक दिलचस्प जानकारी देकर लोगों का मनोबल बढ़ाया. प्रधानमंत्री ने इस जानकारी में भारत द्वारा दुनिया को एक संकट से उबारने का जिक्र किया. हालांकि ये संकट प्रौद्योगिकी में आया था. पीएम मोदी ने कहा, 'आज पूरी दुनिया को भरोसा है कि भारत मानव जाति के लिए कुछ अच्छा कर सकता है.
इस सदी की शुरुआत में जब 'Y2K संकट' सामने आया था, तब भी भारत के सूचना प्रौद्योगिकी(आईटी) शोधकर्ताओं ने ही दुनिया को इससे निकालने में मदद की थी. लेकिन क्या आप जानते हैं, 'Y2K संकट' क्या है? नहीं! तो हम बताते हैं.
'Y2K संकट' जानने से पहले हम आपको बताते हैं कि ये 'Y2K' क्या है. दरअसल, यहां Y का मतलब साल(ईयर) है जबकि 2K काम मतलब 2000 (साल 2000) से है. साल 2000 से पहले पूरी दुनिया के कंप्यूटर ईयर के चार अल्फाबेट की जगह दो ही अल्फाबेट का इस्तेमाल करती थी. यानी साल के आखिरी दो अल्फाबेट(जैसेः 1999 की जगह सिर्फ 99). लेकिन साल 1999 में जब 31 दिसंबर बीत गया, तब अगले दिन की तारीख लोगों को समझ में नहीं आई. क्योंकि उस तारीख में दिन और महीना तो दिख गया लेकिन साल नहीं दिखा. यानी तारीख कुछ इस 01-01-00 तरह दिखाई दी. लाख तकनीकी कोशिश के बाद भी इसे ठीक नहीं किया जा सका. इसलिए 1999 के बाद जब सन 2000 आया तो सभी तारीकों में बदलाव के साथ 01-01-00 तो हो जातीं, लेकिन कंप्यूटर से जुड़ी सभी सेवाएं ठीक 100 साल पीछे चली जातीं. इसे ही 'Y2K संकट' कहा जाता है.
भारत ने ऐसे की मदद कंप्यूटर विद्वानों के मुताबिक उस वक्त कंप्यूटर में 21वीं सदी के लिए उचित प्रोग्राम नहीं थे. इससे कंप्यूटर के क्रैश होने का भी खतरा था. आर्थिक डाटा रखने वाले कंप्यूटर प्रोग्राम फेल होने वाले थे. कंप्यूटर की तारीख न बदलने की वजह से व्यापार, तकनीक, अनुसंधान सभी क्षेत्रों को बड़ा नुकसान था. इस वजह से दैनिक जीवन में होने वाले काम रुक सकते थे. अमेरिका-यूरोप सहित पूरी दुनिया इसे संकट को खत्म करने में जुटी थी. लेकिन इस संकट को भारत की मदद से दूर किया गया.
उस दौर में विप्रो और इंफोसिस जैसी कई आईटी कंपनियां स्थापित हो चुकी थीं. दुनिया को इस संकट से बचाने के लिए सोफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस और आईआईएस अमेरिका की मदद के लिए आगे आई और अमेरिकी प्रोग्रामर्स के साथ मिलकर इसे ठीक किया. इसके बाद भारत के आईटी सेक्टर को दुनिया में पहचान मिली.
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