नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) की एक उच्च-स्तरीय बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे. सुरक्षा परिषद की अस्थाई सीट पर भारत के निर्वाचन के बाद यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री यूएन बैठक में शरीक होंगे.


न्यूयॉर्क भारत के स्थाई यूएन मिशन के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 17 जुलाई को बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र ECOSOC की बैठक को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित करेंगे. बैठक के समापन सत्र में पीएम मोदी के साथ ही नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोल्डबर्ग भी सम्बोधित करेंगी. साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेज़ भी इस बैठक में शामिल होंगे. बैठक 17 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम करीब 7:15 पर शुरू होगी.


संयुक्त राष्ट्र में भारी के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि सँयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गत माह अस्थाई सदस्य के तौर पर निर्वाचित होने के बाद यह पहला मौका होगा जब पीएम यूएन को सम्बोधित करेंगे. गौरतलब है कि पीएम ने इससे पहले 22 जनवरी 2016 को हुई ECOSOC की 70 वीं सालगिरह पर मुख्य भाषण दिया था.


महत्वपूर्ण है कि इस उच्च स्तरीय बैठक का विषय कोरोना संकट के बाद बहुपक्षीय प्रणाली और सँयुक्त राष्ट्र की भावी व्यवस्था पर मंथन है. बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार को भारत ने सुरक्षा परिषद सदस्य के तौर पर सुधारों को अपनी प्राथमिकता के तौर पर रखा है. सँयुक्त राष्ट्र की 75वीं सालगिरह के साल में भारत समेत कई मुल्क यूएन व्यवस्था में सुधार की माँग कर रहे थे.


बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य और COVID-19 महामारी की पृष्ठभूमि में यूएन की यह अहम बैठक बहुपक्षीयता और बहुराष्ट्रीय सहयोगबको तय करने वाली ताकतों पर ध्यान केंद्रित करेगी. साथ ही मजबूत बहुपक्षीय नेतृत्व, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की प्रभावी भागीदारी के लिए एक व्यापक एजेंडा बनाने के तरीके भी तलाशेगी.


हर साल ECOSOC उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करता है और सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और शिक्षा प्रतिनिधियों को बुलाता है. भारत में ECOSOC के साथ घनिष्ठ संबंध की लंबी परंपरा रही है. उल्लेखनीय है कि भारत के सर रामास्वामी मुदलियार ने 1946 में ECOSOC का उद्घाटन किया था. भारत 1946 में गठित ECOSOC का पहला अध्यक्ष भी था.


ध्यान रहे कि ECOSOC को संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक सहयोग को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का निर्देशन और समन्वय भी इस संगठन के दायरे में है.