दुशांबे: ताजिकिस्तान की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर बैठक दुशांबे में आयोजित हो रही है. विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ बैठकों के लिए दुशांबे जाएंगे. एससीओ की बैठक में तालिबान, अफगान संकट, इसके आंतरिक और बाहरी असर पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है. अफगानिस्तान के साथ एससीओ की क्या नई नीति होगी, यह ध्यान देने वाली बात होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2021 को एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 21वीं बैठक के पूर्ण सत्र को वर्चुअली संबोधित करेंगे. वह भारतीय प्रतिनिधिमंडल का भी नेतृत्व करेंगे, जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर दुशांबे में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. पहली बार एससीओ शिखर सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है और चौथा शिखर सम्मेलन जिसमें भारत एससीओ के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल होगा.
यह शिखर सम्मेलन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि संगठन इस साल अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है और नेताओं से पिछले दो दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा करने और राज्य और भविष्य के सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है. पिछले साल ये सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया था और इसकी अध्यक्षता रूसी राष्ट्रपति ने की थी जिसमें पीएम मोदी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.
SCO शिखर बैठक पर पूरे विश्व की नजर
वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर एससीओ की दुशांबे शिखर बैठक का खास महत्व होगा, जो पूरी दुनिया की नजर खींच रही है. एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 को चीन के शांगहाई में हुई. वर्तमान में उसके 8 सदस्य देश हैं, जिनमें चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं.
शांगहाई सहयोग संगठन हमेशा सुरक्षा सहयोग को प्राथमिकता देता है. उसने आतंकवाद पर प्रहार करने और उग्रवाद के विरोध पर कई महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेजों की पुष्टि की है. उसके सदस्य देश नियमित रूप से संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास करते हैं. सुरक्षा मामलों के अलावा एससीओ आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग भी बढ़ाता है और संबंधित तंत्र स्थापित किया गया है.
ये भी पढ़ें-
Elon Musk की कंपनी SpaceX ने रचा इतिहास, पहली बार चार आम लोगों को अंतरिक्ष में भेजा
'गरीबों के मसीहा' सोनू सूद के घर पहुंची इनकम टैक्स टीम, 20 घंटे किया सर्वे