नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 और 18 अगस्त को भूटान आधिकारिक दौरे पर जाएंगे. इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच राजनीतिक सहयोगिता को बढ़ाना और द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना होगा. साथ ही यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पीएम मोदी की नई सरकार बनने के बाद यह उनका पहला विदेशी दौरा होगा. इसके अलावा डोकलाम विवाद के बाद पीएम मोदी की यह पहला भूटान दौरा है.
भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद लंबे समय से चल रहा है.चीन-भूटान-भारत ट्राई-जंक्शन के करीब 73 दिनों तक ये विवाद चला था जहां भारत और चीन की सेना लगातार आमने-सामने थीं. डोकलाम भूटान का हिस्सा है, लेकिन चीन उससे अपना क्षेत्र बताता है. इससे पहले मोदी 2.0 की सरकार में विदेश मंत्री का पदभार संभाल रहे एस जयशंकर भी पहले विदेशी दौरे पर भूटान ही गए थे. इस दौरान उन्होंने भूटान के प्रधानमंत्री लोताय त्सेरिंग समेत कई अन्य शीप्ष भूटानी नेताओं से मिले थे.
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की पुष्टि करते हुए भूटान के प्रधानमंत्री लोतेय त्यशेरिंग ने हाल ही में प्रेस वार्ता में कहा था कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कुछ अहम करार भी होंगे और कुछ परियोजनाओं की घोषणा भी होगी. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी कुछ धार्मिक स्थलों पर भी जाएंगे. हाइड्रो-पावर क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग पहले से जारी है. भूटान में 3 पावर प्रोजेक्ट का निर्माण भारत कर रहा है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में जीत के बाद भी पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे जोकि भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को दर्शाता है. भूटान के नए प्रधानमंत्री लोतेय त्यशेरिंग दिसंबर 2018 में पहली बार भारत आए, और इस साल प्रधानमंत्री मोदी के शपथग्रहण समारोह में अन्य बिम्सटेक देशों के सदस्यों के साथ शामिल भी हुए.
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