PM Modi First US State Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 20 जून (मंगलवार) को अमेरिकी की राजकीय यात्रा के लिए रवाना होंगे. उनके 21 जून को सुबह 1.30 बजे वाशिंगटन डीसी के एंड्रयू एयरबेस पर लैंड करने की संभावना है. पीएम मोदी की ये अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा है और इसे बेहद ही खास माना जा रहा है. इसके पहले सिर्फ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर गए थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (MSA) जैक सुलीवन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा, हाई-टेक्नोलॉजी, आर्थिक सहयोग और लोगों के बीच गहरे संबंधों को परिभाषित करेगी. 


जैक सुलीवन ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, भारत और अमेरिका के बीच गहरे रिश्ते न तो 'फायदे की शादी' है और न ही 'भू-राजनीतिक सौदेबाजी' है, बल्कि दोनों पक्षों के लोगों, निजी क्षेत्रों, शिक्षाविदों और सरकारों के बीच सद्भावना पर स्थापित संबंध है. 


क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी पर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों का मानना है कि उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना उनके समाज, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सहयोग के लिए अनंत सीमा है. 


अमेरिकी नजरिए में फिट है भारत- सुलीवन


अमेरिकी एनएसए सुलीवन ने कहा कि भारत तीन तरह से अमेरिकी नजरिए में फिट बैठता है- आपूर्ति शृंखला विविधीकरण, उभरती टेक्नोलॉजी पर साझेदारी और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार और कर्ज संकट को संबोधित करना, जिसने कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. जी-20 अध्यक्ष के रूप में एमडीबी और कर्ज पर भारत के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए, सुलीवन ने कहा, "हम इन दोनों मुद्दों पर भारत की जी-20 अध्यक्षता को ऐतिहासिक बनाने में मदद करना चाहते हैं. जब मैं इस बारे में सोचता हूं कि हमारी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक रणनीति क्या है, तो अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक साझेदारी इसके केंद्र में है.


सुलीवन ने बताया- चीन पर क्या होगी बात


भारत-अमेरिका संबंधों में चीन फैक्टर पर जैक सुलीवन ने बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी दोनों ही भारत-अमेरिका के संबंधों को अवसरों के नजरिए से अधिक देखते हैं, बजाय कि उन खतरों या चुनौतियों के जिनसे चिंतिंत होने या उन्हें दूर किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध किसी साझा खतरे के खिलाफ भू-राजनीतिक सौदा या सुविधा का विवाह नहीं है.


हालांकि, सुलीवन ने स्वीकार किया कि राजकीय यात्रा के दौरान बातचीत में चीन का मुद्दा आएगा. “हमने उन चिंताओं को लेकर एक सामान्य समझ विकसित करने की कोशिश की है जो हमारे देश में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की कार्रवाइयों और गतिविधियों के बारे में है लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा, मुझे लगता है कि यह प्रमुख विशेषता नहीं है, भले ही इसके बारे में लोग लिखना पसंद करते हैं.


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