नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर, 2020 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में आम सभा को संबोधित करेंगे. मौजूदा कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें 26 सितंबर (शनिवार) को पहले वक्ता के रूप में रखा गया है. बैठक न्यूयॉर्क के समय सुबह 9 बजे यानी भारतीय समयानुसार शाम करीब 6.30 बजे (टीबीसी) होगी.
75वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सत्र का विषय "भविष्य जो हम चाहते हैं, संयुक्त राष्ट्र जिसकी हमें ज़रूरत है: बहुपक्षवाद के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, COVID-19 का सामना करने में प्रभावी बहुपक्षीय कार्रवाई." चूंकि इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा को कोरोना वायरस महामारी की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है, इसलिए यह लगभग पूरी तरह वर्चुअल ही हो रही है. इसलिए न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में प्रधानमंत्री का संबोधन एक पूर्व रिकॉर्डेड वीडियो सन्देश के तौर पर प्रसारित किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के दौरान भारत के लिए कुछ प्राथमिकता के मुद्दे इस प्रकार हैं:-
-आतंकवाद-निरोध पर वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने के लिए, भारत प्रतिबंध पर फैसला लेने वाली लिस्टिंग समितियों में संस्थाओं और व्यक्तियों को सूचीबद्ध करने और उनके नाम हटाए जाने की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता के लिए जोर देगा.
-यूएन के लिए एक सबसे बड़े ट्रूप कंट्रीब्यूटिंग कंट्री (यूएन शांति मिशन में अपने सैनिक भेजने वाला देश) में से एक होने के नाते, भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के लिए मेंडेट तय करने की प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भागीदारी चाहता.
-सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर भारत की सक्रिय भागीदारी जारी रखना.
-एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका को बढ़ावा देते हुए, दुनिया के 150 से अधिक देशों को कोविड-19 बीमारी से लड़ने में वैश्विक फार्मेसी के रूप में भारत की तरफ उपलब्ध कराई गई सहायता को उजागर करना.
- साल 2020 में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन की 25वीं वर्षगांठ भी है. ऐसे में भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में अपनी प्रतिबद्धताओं और उपलब्धियों को दोहराएगा.
- दक्षिण-दक्षिण विकास भागीदार के रूप में भारत की भूमिका पर भी जोर दिया जाएगा. विशेष रूप से भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि के संदर्भ में.
-जलवायु परिवर्तन पर एसडीजी 17 के तहत वैश्विक साझेदारी के विचार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उभारा जाएगा. खासकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना जैसे कदमों को.
-भारत आने वाले दो वर्षों के लिए यूएनएससी का एक अस्थायी सदस्य होगा, जहां 5-एस के दृष्टिकोण पर चलेगा, जिसमें सम्मान, संवाद, सहयोग शांति और समृद्धि शामिल है.
-भारत की प्राथमिकताओं में- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया, NORMS (बहुपक्षीय व्यवस्था के सुधार के लिए नया दिशानिर्धारण), सभी के लिए प्रौद्योगिकी और शांति स्थापना को सुव्यवस्थित करना है ताकि अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए समावेशी और जिम्मेदार समाधान हासिल किए जा सकें.
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