यूएन मंच पर भारत का सघन कूटनीतिक संपर्क अभियान, अगुवाई करेंगे PM मोदी
इस सघन संपर्क अभियान की कवायद के पीछे भारत की कोशिश जहां वैश्विक एजेंडा का रुख तय करने में बड़ी भूमिका लेने की है. वहीं अपने रुतबे और रसूख के सहारे दुनिया के छोटे-बड़े मुल्कों से समर्थन हासिल करने की भी है.
नई दिल्ली: भारत की सत्ता में दोबारा और बड़े बहुमत से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपनी विदेश नीति में बहुराष्ट्रीय संपर्कों पर खासा ध्यान दे रहे हैं. यही वजह है कि पांच साल बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करने पहुंच रहे पीएम मोदी नई कूटनीतिक व्यूहरचना के साथ इस हफ्ते अमेरिका पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 74वें बैठक में शामिल होने जा रहा भारतीय राजनयिक अमला दुनिया के 75 से ज्यादा नेताओं के साथ उच्चस्तरीय संवाद बैठकों में शामिल होगा. यूएन में भारत का अब तक का सबसे सघन संपर्क अभियान है.
इस सघन संपर्क अभियान में प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं उनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और विदेश राज्यमंत्री मुरलीधरन भी शामिल भी शरीक होंगे. मोदी सरकार में यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री के साथ-साथ विदेश मंत्री भी यूएन महासभा में शामिल होंगे. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन के मुताबिक महासभा की बैठक और इस दौरान होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के लिए न्यूयॉर्क आ रहे प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री औऱ विदेश राज्यमंत्री अपने-अपने स्तर पर विभिन्न स्तर पर बैठकें करेंगे. इसमें बहुपक्षीय बैठकें से लेकर द्विपक्षीय मुलाकातें शामिल हैं.
महत्वपूर्ण है कि इस कड़ी में जहां पीएम नरेंद्र मोदी जहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा बुलाए क्लाइमेट एक्शन समिट, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उच्च स्तरीय संवाद बैठक और आतंकवाद पर लीडर्स डायलॉग जैसे कार्यक्रमों में शरीक होंगे. वहीं महात्मा गांधी के 150 संबंधी कार्यक्रमों के लिए कई विश्वनेताओं की मेजबानी भी करेंगे. प्रधानमंत्री के साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस सघन कूटनीति अभियान का हिस्सा हैं जो कई मुल्कों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातों के अलावा, ब्रिक्स( ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका), जी-4( जापान, जर्मनी, भारत, ब्राजील) के विदेशमंत्रियों के साथ बैठकें करेंगे. इस कड़ी में जयशंकर 26 सितंबर को सार्क यानी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी शामिल होंगे जहां पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी होंगे.
विदेश राज्यमंत्री मुरलीधरन को गुटनिरपेक्ष देशों, जी-77 और CICA ( Conference on Interaction and Confidence-Building Measures in Asia ) की बैठकों का हिस्सा बनेंगे. महत्वपूर्ण है कि CICA में भारत के साथ ही पाकिस्तान औऱ चीन समेत दो दर्जन से ज्यादा देश शामिल हैं.
इस सघन संपर्क अभियान की कवायद के पीछे भारत की कोशिश जहां वैश्विक एजेंडा का रुख तय करने में बड़ी भूमिका लेने की है. वहीं अपने रुतबे और रसूख के सहारे दुनिया के छोटे-बड़े मुल्कों से समर्थन हासिल करने की भी है. जाहिर है इस समर्थन के सहारे भारत अपने लिए दुनिया की जरूरतों और विकास प्राथमिकताओं को तय करने वाली दमदार आवाज का रोल चाहता है. ताकि देर-सवेर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता जैसी कुर्सी पर भी दावेदारी का दबाव बनाया जा सके.
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