नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के करीब 150 गन्ना किसानों के साथ प्रधानमंत्री आवास पर मुलाक़ात करेंगे. मुलाक़ात के दौरान सरकार द्वारा गन्ना किसानों की मदद के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा होगी. जिन गन्ना किसानों से मोदी मिलेंगे उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पंजाब के किसान शामिल होंगे.


क्यों है इस मुलाकात का महत्व ?
दरअसल हाल ही में उत्तर प्रदेश की कैराना लोक सभा के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी को एकजुट विपक्ष के उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था. कैराना में हुई हार के लिए बाक़ी कारणों के अलावा गन्ना किसानों के नाराज़ होने को भी ज़िम्मेदार माना गया था. केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर आरोप लगाया गया कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लौटाने के लिए कुछ नहीं किया गया. चुनाव परिणाम के बाद आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने यहां तक कह दिया था कि जिन्ना हार गया और गन्ना जीत गया. ज़ाहिर है पीएम मोदी की कोशिश गन्ना किसानों से मिल कर उनकी समस्याओं को सुनने और उनके निराकरण करने की है ताकि किसानों को सन्देश दिया जा सके कि सरकार उनके साथ है.


2019 भी है निशाना
ये समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं है कि 2019 लोक सभा चुनावों में भी किसानों खासकर गन्ना किसानों की भूमिका कितनी अहम होगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज़्यादातर सीटों समेत महाराष्ट्र और कर्नाटक की कई सीटों पर भी गन्ना किसान चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं.


सरकार के लिए आई राहत की ख़बर
उधर गन्ना किसानों की पीएम से हो रही मुलाक़ात के पहले सरकार के लिए एक अच्छी खबर आई है. चीनी मिलों पर लगातार बढ़ रहे गन्ना किसानों के बकाए को ख़त्म करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का असर दिखने लगा है. पिछले 13 दिनों में चीनी मिलों पर बकाए में करीब 3000 करोड़ रुपए की कमी आयी है.


क़रीब 3000 करोड़ रूपए की आई कमी
एबीपी न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक 6 जून को चीनी पर पैकेज की घोषणा के बाद बकाए में कमी आनी शुरू हो गयी है. 6 जून को जहां देश भर के चीनी मिलों पर किसानों का कुल बकाया 22,645 करोड़ रुपया था वहीं खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक 25 जून को बकाया 19,816 करोड़ पहुंच गया. यानि 2,829 करोड़ रुपए की कमी. खाद्य मंत्रालय को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में किसानों को उनका बक़ाया देने में और तेज़ी आएगी.


कर्नाटक में सबसे ज़्यादा फ़ायदा
आंकड़ों के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर 6 जून को बकाया जहां 13,486 करोड़ रूपए था वहीं 25 जून को ये घटकर 12,367 करोड़ हो गया है. इसी तरह महाराष्ट्र में ये बकाया घटकर 1,908 करोड़ से 1765 करोड़ रूपए हो गया है. लेकिन सबसे ज़्यादा फ़ायदा कर्नाटक के गन्ना किसानों का हुआ है जहां चीनी मिलों पर बक़ाया 1,892 करोड़ रूपए से घटकर 1,446 करोड़ रूपया हो गया है. इसी तरह बाक़ी छोटे उत्पादक राज्यों में भी इसका असर दिखने लगा है.


उत्तर प्रदेश में रफ़्तार है धीमी
हालांकि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर बक़ाए में आई कमी को खाद्य मंत्रालय के अधिकारी नाक़ाफ़ी मानते हैं. उनके मुताबिक़ चीनी पैकेज का असर सबसे देर से उत्तर प्रदेश में ही दिखना शुरू हुआ है जो चिंता की बात है. प्रदेश के चीनी मिलों पर बक़ाए में जो लगभग 1,100 करोड़ रूपए की कमी आई भी है वो पिछले कुछ चंद दिनों में ही आई है. वैसे मंत्रालय बकाया घटने को एक सकारात्मक संकेत मान रहा है.


मोदी सरकार ने की थी चीनी पैकेज की घोषणा
6 जून को मोदी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में चीनी पैकेज को मंज़ूरी दी थी. इसमें सबसे अहम फैसला था चीनी के बफर स्टॉक बनाने का. कैबिनेट ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाए जाने को मंज़ूरी दी थी. बफर स्टॉक बनने से चीनी की मांग और आपूर्ति के अंतर को मिटाने के साथ साथ उत्पादित चीनी की खरीद भी सुनिश्चित करने में मदद मिली. साथ ही, मिल से निकलने वाली चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य भी 29 रूपये प्रति किलो तय किया गया था.