मालदीव: एशिया के सबसे छोटे मुल्क और दक्षिण एशियाई मोहल्ले में भारत के सबसे छोटे पड़ोसी मालदीव में सत्ता संभालने जा रही नई सरकार का आगाज़ कुछ खास होगा. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र व मालदीव के सबसे बड़े पड़ोसी भारत के प्रधानमंत्री इस द्वीप देश में चुनावी करवट के बाद शपथ ले रही सरकार को बधाई और समर्थन का सम्बल देने पहुंचेंगे. नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार शाम माले पहुंचेंगे. यह पहला मौका होगा जब भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी किसी पड़ोसी मुल्क के शपथग्रहण समारोह में शरीक होंगे.
पीएम मोदी की यह मालदीव यात्रा 4 घण्टे से भी कम वक्त की होगी. प्रधानमंत्री दोपहर बाद दिल्ली से रवाना होंगे और शाम 4 बजे माले पहुंचेंगे. माले के नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रपति सोलेह समेत नई सरकार का शपथग्रहण समारोह 5 बजे(5:30 IST) शुरू होगा. कार्यक्रम में विशेष मेहमान के तौर पर भारतीय पीएम भी मौजूद होंगे. इसकी बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के साथ पीएम की शिष्टाचार भेंट होगी. मोदी शाम करीब 7:30 बजे माले से दिल्ली के लिए वापस रवाना भी हो जाएंगे.
यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली मालदीव यात्रा है. सनद रहे कि मालदीव ही एक मात्र ऐसा पड़ोसी मुल्क बचा था जहां पीएम मोदी की यात्रा अब तक नहीं हो सकी थी. निवर्तमान अब्दुल्ला यमीन सरकार के साथ रिश्तों में आई खटास के कारण 2015 में पीएम मोदी की मालदीव यात्रा का कार्यक्रम टालना पड़ा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशियाई मुल्कों के प्रमुखों को खास मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया था. मगर यह पहला मौका है जब वो स्वयं भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर किसी पड़ोसी मुल्क में नई सरकार के शपथ समारोह में शामिल हो रहे हैं.
रोचक संयोग है कि 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बतौर मालदीव राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम आए थे. जबकि सितंबर 2018 को हुए चुनावों में चीन समर्थक छवि वाले यमीन की शिकस्त और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समर्थक विपक्षी दलों की जीत को लोकतंत्र हिमायती ताकतों और भारत की कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है.
मालदीव में सत्ता संभालने से पहले ही राष्ट्रपति निर्वाचित सोलेह की टीम ने यमीन सरकार के कार्यकाल में ढांचागत परियोजनाओं के नाम पर चीन को बांटी गई रेवड़ियों पर जांच बैठाने के संकेत दे दिए हैं. इसके अलावा मालदीव के नए निज़ाम ने चीन के ऋण चंगुल से निकलने के लिए भारत के साथ-साथ अमेरिका से भी मदद मांगी है.माना जा रहा है कि चीन की गोद में बैठने वाले फैसालों ने ही मालदीव की जनता के बीच यमीन सरकार की साख डुबोई.