नई दिल्ली: पीडीपी से समर्थन वापसी के बाद जम्मू कश्मीर में केंद्र की मोदी सरकार हरकत में आ गई है. चौतरफा चलाए जा रहे ऑपरेशन के तहत आज अनंतनाग एनकाउंटर में सेना ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया है. इतना ही नहीं आतंक से अमरनाथ यात्रा को बचाने के लिए घाटी में पहली बार एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं.  उपद्रव को शह देने वाले अलगाववादियों पर भी सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है. इन सबके बावजूद हालात सुधारने के लिए सरकार सभी पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया जारी रखेगी.


पीएम मोदी के ऑपरेशन चक्रव्यूह में 6 मुख्य मुद्दों को शामिल किया गया है. इसके मुताबिक घाटी में आतंक का सफाया और पत्थरबाजों पर नकेल कसने के साथ-साथ शांति बहाल करने के लिए सभी पक्षों से बातचीत भी जारी रहेगी.


आतंकियों के सफाए का अभियान


ऑपरेशन चक्रव्य़ूह के तहत घाटी में आतंकियों के सफाए का अभियान शुरू हो गया है. आज सुबह ही अनंतनाग जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई. आंतकवादियों के छुपे होने की खबर मिलते ही सेना के जवान सतर्क हो गए. तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों के ऊपर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. जवाब में जवानों ने भी कार्रवाई की और दो आतंकियों को घेर लिया.


सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने दो दिन पहले बताया था कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन से आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला. सेना आतंकियों के खिलाफ अपना ऑपरेशन जारी रखेगी. बता दें कि रमज़ान के दौरान सेना ने घाटी में ये ऑपरेशन रोक दिया था.


घाटी में तैनाती एनएसजी कमांडो की तैनाती


28 जून से शुरू हो रही आमरनाथ यात्रा से पहले आतंकियों की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए गृहमंत्रालय ने श्रीनगर में NSG के ब्लैक कैट कमांडों का दस्ता तैनात किया है. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक़ आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा के दौरान यात्रियों और सुरक्षा बलों के कैंपो पर बड़े पैमाने की पर हमले की साज़िश रची है. फिलहाल दो दर्ज़न एनएसजी कमांडो की तैनाती हुई है. सरकार NSG के मूवमेंट के लिए बीसएफ कैम्प में हेलीकॉप्टर भी तैयार रखेगी जिससे आपात स्थिति में कमांडो को तत्काल तैनात किया जा सके.


एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की तैनाती


आतंकियों ने निपटने के लिए मोदी सरकार ने घाटी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की भी तैनाती कर दी है. 1975 बैच के आईएएस अधिकारी विजय कुमार को राज्यपाल एनएन बोहरा का सलाहकार बनाया गया है. विजय कुमार को सुपर कॉप और चंदन तस्कर किंग वीरप्पन को मारने वाला अधिकारी कहा जाता है. ये जम्मू और कश्मीर के गवर्नर के सलाहकार के तौर पर राज्य के गृह और सुरक्षा संबधी विभागों को देखेंगे और गवर्नर को सलाह देंगे. विजय कुमार को साल 2010 से 2012 तक नक्सलियों के विरुद्ध ऑपरेशन को अंजाम देने का श्रेय भी दिया जाता है.


विजय कुमार के अलावा बीबी व्यास को भी राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. बीबी व्यास 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. बीबी व्यास राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की नब्ज पहचानते हैं और इन्हें राज्य सरकार के विकास से जुड़े विभागों का काम सौंपा जाएगा. उन्हें कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख सभी रीजन का काम देखना होगा. चूंकि वो राज्य की प्रशासनिक कार्यों को पहले भी अलग-अलग रोल में पूरा कर चुके हैं और इनका इन रीजन से जुड़ाव है तो वो अच्छे से इन कार्यों को संभाल सकते हैं.


अलगाववादियों पर सख्ती


इतना ही नहीं मोदी सरकार के ऑपरेशन चक्रव्यू के तहत अलगाववादियों पर भी सख्ती अब तेज कर दी गई है. कल जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) के प्रमुख यासीन मलिक को आज हिरासत में ले लिया गया जबकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरम धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक को नजरबंद कर दिया गया ताकि अलगाववादी विरोध प्रदर्शन की अगुवाई नहीं कर सकें.


आम नागरिकों की कथित तौर पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मौत और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के विरोध में, अलगाववादियों ने जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले आज हड़ताल करने की मंगलवार को घोषणा की थी.


आतंकियों से जुड़े संगठनों पर बैन


घाटी में सुरक्षा कायम करने के लिए मोदी सरकार ने आतंकवाद रोधी कानून- गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकी संगठनों अलकायदा और आईएसआईएस के नए संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है.


गृह मंत्रालय ने अलकायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट (एक्यूआईएस) और आई एस आई एस के अफगानिस्तान आधारित संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड शाम खुरासन (आई एस आई एस- के) को गैर कानूनी घोषित कर दिया है, क्योंकि इन संगठनों को ‘वैश्विक जिहाद’ के लिए भारतीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाने का दोषी पाया गया.


सभी पक्षों से बातचीत जारी


आतंकियों और पत्थरबाज़ों से निपटने के साथ-साथ मोदी सरकार घाटी में कश्मीरियों का दिल जीतने के लिए विकास के कामों में भी तेज़ी लाने की कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा अपने पद पर रहते हुए कश्मीर के तमाम तबके के लोगों से बातचीत भी जारी रखेंगे. हालांकि हुर्रियत नेताओं से फ़िलहाल बातचीत की उम्मीद नहीं है.


लंबे समय तक कश्मीर में तैनात रहे आईबी के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा अपने निजी संबंधों के जरिए उन ताकतों को अलगाववादियों से दूर रखने की कोशिशें जारी रखेंगे, जो घाटी में लगातार जारी हिंसा से नाराज़ हैं. लेकिन वो खुलकर विरोध नहीं कर पाते.


जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल शासन


आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की तीन साल तक चली सरकार गिर चुकी है. बीजेपी ने अपनी सहयोगी पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था. राज्य में राज्यपाल साशन लागू हैं. राज्यपाल के राज्यपाल एनएन वोहरा हैं जिनके हाथों में राज्य की कमान है.


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