देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामलों और इसके कारण अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान के बावजूद इस बीमारी से निपटने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुनियाभर में प्रशंसा हुई है. कोरोना वायरस संकट के बीच पीएम मोदी की लोकप्रियता दुनियाभर के नेताओं में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. एक सर्वे से ये बात सामने आई है.


कुछ वक्त पहले तक पीएम मोदी की लोकप्रियता रेटिंग 80 फीसदी के उच्चतम स्तर पर थी और अब यह इसको भी पार कर 90 फीसदी पर पहुंच गई है. खास बात ये है कि पीएम की लोकप्रियता रेटिंग दुनिया के 2 सबसे ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों, डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन से भी ज्यादा है.

कोरोना संकट से पहले थे ये हाल

देश में मार्च के महीने में कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हुए. उससे पहले फरवरी तक देश में अलग-अलग मुद्दों पर राजनीतिक उठा-पटक और आंदोलन जारी थे. पिछले साल नवंबर-दिसंबर से ही लगातार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ आंदोलन चल रहे थे.

इस बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जेएनयू में हिंसा के कारण भी पीएम मोदी और केंद्र सरकार को जमकर घेरा गया. वहीं फरवरी के आखिरी सप्ताह में CAA के खिलाफ और समर्थन में विरोध-प्रदर्शन के कारण पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई. उसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत आए थे और केंद्र सरकार पर हिंसा के माहौल के बीच ट्रंप के स्वागत और कार्यक्रम में व्यस्त रहने को लेकर जमकर आलोचना हुई थी.

क्यों बढ़ रही है पीएम मोदी की लोकप्रियता
इन सबके बाद शुरू हुए कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार के ऐहतियातन उठाए गए कदमों ने देश में तेजी बीमारी को जल्दी से पैर पसारने के मौके नहीं दिए. इनके अलावा विदेशों में फंसे भारतीयों को देश वापस लाने के लिए भी सरकार ने विशेष अभियान चलाया.

ऐसे में सर्वे के परिणाम के मुताबिक, अगर देश में कोरोना वायरस को लेकर ऐसा ही मौहाल बना रहा, तो बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता और भी बढ़ सकती है. पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ चले अभियान की वजह से मोदी की लोकप्रियता में तेजी देखी गई थी.

हालांकि यहां खास बात ये भी है कि कोरोना संकट में दुनियाभर के लीडर्स की लोकप्रियता में उछाल देखा गया है. कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ने के साथ-साथ लीडर्स के प्रति जनता का भरोसा भी बढ़ा है. उधर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए 260 बिलियन डॉलर का आर्थिक पैकेज देश को उबारने के लिए काफी है.

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