नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात करते हुए महिला भागिदारी को लेकर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी तय करना हम सबका कर्तव्य और जिम्मेवारी है. यही न्यू इंडिया का सपना है. उन्होंने सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 100 साल पूरा करने वाली महिलाओं के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किये जाएं.
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर साल आठ मार्च को ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला-दिवस’ मनाया जाता है. देश और दुनिया में कई कार्यक्रम होते हैं. इस दिन देश में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से ऐसी महिलाओं का सम्मान भी किया जाता है जिन्होंने बीते दिनों में अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छा कार्य किया हो.
उन्होंने कहा कि देश आज महिला विकास की जगह महिला आधारित विकास की ओर बढ़ रहा है. आज हम महिला विकास से आगे महिला के नेतृत्व में विकास की बात कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि आज सामाजिक, आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित करना हम सबका कर्तव्य है, यह हम सबकी जिम्मेवारी है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम उस परंपरा का हिस्सा हैं, जहां पुरुषों की पहचान नारियों से होती थी. यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र जैसी पहचान होती थी बेटों की. आज हमारी नारी शक्ति ने अपने कार्य से आत्मबल और आत्मविश्वास का परिचय दिया है. खुद को आत्मनिर्भर बनाया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आख़िर हमारा ‘न्यू इंडिया’ का सपना यही तो है जहां नारी सशक्त हो, मज़बूत हो, देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो.’’
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुझे एक बहुत ही बढ़िया सुझाव मिला. यह सुझाव था कि आठ मार्च को ‘महिला दिवस’ मनाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं. क्या हर गाँव-शहर में 100 साल पूरे करने वाली माताओं-बहनों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित हो सकता है क्या? और उसमें एक लम्बे जीवन की बातें हों. पीएम ने कहा, ‘‘मुझे विचार अच्छा लगा, आप तक पहुँचा रहा हूँ.’’
मोदी ने इस संबंध में महिला सशक्तिकरण पर स्वामी विवेकानंद के विचारों को साझा किया. उन्होंने झारखण्ड के एक समाचार का जिक्र किया जो नारी शक्ति से जुड़ा है. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के अंतर्गत झारखण्ड में लगभग 15 लाख महिलाओं ने संगठित होकर एक माह का स्वच्छता अभियान चलाया.