संजय राउत की जांच की गई और उनका बयान 1 जुलाई 2022 को पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किया गया, जिसमें पात्रा चॉल परियोजना में प्रवीण राउत के शामिल न होने की जानकारी का दावा किया. उन्होंने कहा, वो प्रवीण राउत के संपर्क में 2012-13 के दौरान आए थे. उन्होंने दावा किया कि वे अपनी पत्नियों के माध्यम से करीब आए. पत्नी के बैंक खाते और राउत के बैंक खाते में राशि मिलने के बारे में पूछे जाने पर वह कोई वैध स्पष्टीकरण नहीं दे पाए. वो केस से जुड़े संबंधित कोई भी कागज दिखाने में भी विफल रहे.
संजय राउत ने 2010-11 के दौरान जमीन खरीदी
संजय राउत ने 2010-11 पात्रा चॉल के पुनर्विकास परियोजना के दौरान अलीबाग में स्थित किहिम बीच में 8 समझौतों के तहत 10 भूमि पार्सल खरीदे. ये समझौते स्वप्ना पाटकर और वर्षा राउत के नाम पर किए गए थे. स्वप्ना पाटकर ने अपने बयान में कहा, "इन भूखंडों के अधिग्रहण के लिए विक्रेताओं को नकद राशि का भुगतान किया गया था. कुछ विक्रेताओं ने इन लेन-देन में प्राप्त चेक राशि से अधिक नकद की प्राप्ति की पुष्टि की है और जो भी नकद भुगतान किया गया उसकी स्रोत प्रवीण राउत है."
स्वप्ना पाटकर का 22 जुलाई 2022 का एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उन्होंने शिकायत की कि " मामले में संजय राउत की भूमिका के बारे में अपना बयान देने के लिए उन्हें धमकी भरे कॉल आ रहे हैं." उसकी शिकायत 27 जुलाई 2022 को पुलिस आयुक्त मुंबई ने दर्ज किया था.
आय को छुपाने की कोशिश की गई
संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत जो एक टीचर थीं और प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत अवनि इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के समय एक हाउस वाइफ थीं. इन कंपनियों को संजय राउत और प्रवीण राउत ने स्थापित किया था ताकि पात्र चॉल परियोजना से मिली अवैध इनकम को बेदाग तरीके से पेश किया जा सके.
अब तक की जांच से पता चला है कि 1 करोड़ से अधिक की पीओसी के अलावा, अलीबाग में भूखंडों के अधिग्रहण के लिए भुगतान किया गया पैसा भी प्रवीण राउत से लिया गया था. प्रवीण राउत ने संजय राउत के परिवार का विदेश और घरेलू छुट्टियों का भी खर्च उठाया.
प्रभावशाली व्यक्ति होने का उठाया फायदा
वर्षा राउत को 56 हजार 251 रुपए का निवेश किया, जिस पर उन्हें 13 लाख 95 हजार 611 रुपए 'अवनी इंफ्रास्ट्रक्चर' से मिले. पैसो का सारा भुगतान प्रवीण राउत ने किया. संजय राउत ने प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते से प्रवीण राउत को लगभग 112 करोड़ का पीओसी दिलवाने में मदद की और इस बात की पूरी संभावना है कि संजय राउत को उस अवधि के दौरान और अधिक पीओसी प्राप्त हुई है.
अब तक जांच से पता चला
गोरेगांव के पात्रा चॉल में 47 एकड़ जमीन म्हाडा की है और उस जमीन पर पर 672 किरायेदार थे. पुनर्विकास और अतिरिक्त एफएसआई के लिए विभिन्न अप्रुवल मैसर्स गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल किए. इसके कारण प्रोसीड्स ऑफ क्राइम की उत्पत्ति हुई. प्रवीण राउत ने संजय राउत के प्रतिनिधि के रूप में अधिकारियों के साथ समय-समय पर अप्रूवल पाने के लिए संपर्क किया, जिससे 1039.79 करोड़ रुपये अवैध इनकम हुई. ऐसा करने के खिलाफ FIR भी दर्ज किया गया.
प्रवीण राउत के खातों में से प्राप्त किए गए लगभग 112 करोड़ रुपये की पीओसी के बारे में जानकारी मिली और संजय राउत के परिवार से 1.06 करोड़ रुपये के पीओसी का पता लगा. पीएमएलए की जांच में आगे पता चला कि संजय राउत ने किहिम, अलीबाग में जमीन की खरीद में काफी मात्रा में नकदी का इस्तेमाल किया है, जिसकी पुष्टि कुछ विक्रेताओं ने की है. ये नकद राशि प्रवीण राउत ने लिया.
संजय राउत ने धमकी दी
संजय राउत ने विक्रेताओं को अलीबाग के किहिम बीच स्थित अपनी जमीन बेचने की धमकी दी. इसके अलावा, उन्होंने ईडी के समक्ष गवाही देने वाले गवाहों को भी धमकी दी है. 31 जुलाई 2022 को संजय राउत के दादर और भांडुप पूर्व में स्थित दो परिसरों में पीएमएलए, 2002 की धारा 17 के तहत तलाशी ली गई, जिसके बाद दोनों परिसरों से दस्तावेज जब्त किए गए. इसके अलावा भांडुप स्थित उनके आवास से 11.50 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई.
संजय राउत और प्रवीण राउत ने उस अवैध लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप अपराध की आय के घोटाले में सक्रिय रूप से भाग लिया. इसके अलावा, संजय राउत अपराधिक आय के दोषी है.
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