PMLA Rules Change: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने धन शोधक निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act - PMLA) में बड़ा बदलाव किया है. इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का दायरा बढ़ा दिया है. अब इसके दायरे में जज और सैन्य अधिकारी भी आएंगे. इसके साथ ही एक नई श्रेणी पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (PEP) बनाई गई है. नए बदलाव में गैर सरकारी संगठनों (NGO) पर भी अधिक शिकंजा कसेगा
PMLA अनुपालन के नियमों में नया खंड "राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति या पीईपी, ऐसे व्यक्तियों को कहा गया है, जो किसी बाहरी देश में काम करने वाले व्यक्तियों, राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों या वरिष्ठ अधिकारियों को कवर करते हैं. नए नियमों के अनुसार अब विदेशों में काम करने वाले जजों, सीनियर ब्यूरोक्रेट और सैन्य अधिकारियों की भी जांच कर सकती है.
बैंकों के लिए निर्देश
नए नियमों के तहत बैंकों के लिए भी निर्देश तय किए गए हैं. अब बैंकों को गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) या गैर लाभकारी संगठनों की वित्तीय लेनदेन की जानकारी 5 साल तक रखनी होगी. इस लेन-देन की प्रकृति के बारे में बैंकों को जानकारी देनी होगी और बैंक उसे अपने पास रखेंगे. नए निमयों में यह जानकारी साझा करने के बारे में भी बताया गया है. यही नहीं, वित्तीय संस्थाओं को अब पीईपी के लिए केवाईसी के अलावा अतिरिक्त जांच करनी होगी.
FATF से जुड़ा है बदलाव
यह संशोधन ऐसे समय में आया है जब भारत का प्रस्तावित फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) मूल्यांकन इसी साल के आखिर में किया जाना है. इससे पहले, एफएटीएफ ने जून 2010 में भारत के लिए एक मूल्यांकन किया था.
एफएटीएफ, जो दुनिया में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को मिलने वाली फंडिंग पर नजर रखती है, की 40 सिफारिशें हैं. इसकी सिफारिशों में यह कहा गया है कि यह निर्धारित करने के लिए उपयुक्त रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिए जिससे पता चल सके कि ग्राहक या लाभार्थी एक घरेलू पीईपी है या किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने उसे जरूरी काम सौंपा है.
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