PM Cares Fund: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने मंगलवार (31 जनवरी) को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि पीएम केयर्स (PM CARES) भारत सरकार का फंड नहीं है और इसे पब्लिक अथॉरिटी नहीं मान सकते. पीएमओ के अवर सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि PM CARES फंड को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है और यह भारत के संविधान, संसद या किसी राज्य विधानमंडल के कानून के तहत नहीं बनाया गया है. 


पीएमओ ने सम्यक गंगवाल की ओर से दायर याचिका का विरोध किया है, जिन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स को सरकारी फंड घोषित करने की मांग की थी. हलफनामे में कहा गया है कि ट्रस्ट के कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. पीएमओ ने आगे कहा है कि पीएम केयर्स फंड केवल व्यक्तियों और संस्थानों की ओर से स्वैच्छिक दान स्वीकार करता है. ये किसी भी बजटीय प्रावधान या लोक उपक्रम के बैलेंस शीट से आने वाले पैसा को स्वीकार नहीं करता है.


पीएम केयर्स को पब्लिक अथॉरिटी नहीं मान सकते


पीएम केयर्स फंड में किए गए योगदान को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत छूट दी गई है, लेकिन यह अपने आप में इस निष्कर्ष को सही नहीं ठहराएगा कि यह एक पब्लिक अथॉरिटी है. आगे कहा गया कि फंड को सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जिस कारण से इसे बनाया गया था वह विशुद्ध रूप से धर्मार्थ है और न तो फंड का उपयोग किसी सरकारी परियोजना के लिए किया जाता है और न ही ट्रस्ट सरकार की किसी भी नीति से शासित होता है. इसलिए पीएम केयर्स को 'पब्लिक अथॉरिटी' के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है.


पीएमओ ने और क्या कहा?


पीएमओ ने यह भी तर्क दिया है कि पीएम केयर्स (PM CARES) फंड को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) की तर्ज पर प्रशासित किया जाता है क्योंकि दोनों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. जवाब में कहा गया है कि जिस तरह पीएमएनआरएफ के लिए राष्ट्रीय प्रतीक और डोमेन नाम 'gov.in' का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसी तरह पीएम केयर्स फंड के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है. 


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