नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड के भविष्य का फैसला जल्द होने की उम्मीद है. बीएसएनएल और एमटीएनएल को क्या रिवाइव यानी पुर्नजीवित किया जा सकता है या नहीं, इस पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है. इस क्रम में गुरुवार देर रात तक प्रधानमंत्री कार्यालय में अहम बैठक हुई. बैठक में बीएसएनएल और एमटीएनएल को दोबारा पटरी पर लाने के संबंध में विस्तत चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से अगले 4-5 दिन का समय दिया गया है, जिसमें सचिवों की कमेटी इस बात के निष्कर्ष पर पहुंचेगी कि क्या बीएसएनएल और एमटीएनएल को पुनर्जीवित किया जा सकता है या नहीं.


अगर कमेटी यह सिफारिश करती है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल को दोबारा पटरी पर लाया जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार की तरफ से बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए फॉर्मूला निकाला जाएगा जिससे घाटे में चल रही दोनों सार्वजनिक कंपनियों को दोबारा से पटरी पर लाया जा सके. सूत्रों के मुताबिक, अगर सचिवों की कमेटी बीएसएनएल और एमटीएनएल के रिवाइवल को हरी झंडी दे देती है तो फिर सबसे पहले बीएसएनएल कर्मचारियों की संख्या को घटाने के लिए वीआरएस यानि स्वैच्छिक सेवानिवर्ति का विकल्प देने का फॉर्मूला निकाला जाएगा.


दरअसल, तमाम निजी टेलीकॉम कंपनियों के मुकाबले बीएसएनएल में कर्मचारियों की संख्या कहीं ज्यादा है. इसीलिए, बीएसएनएल की कमाई का बड़ा हिस्सा अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देने में ही निकल जाता है. बीएसएनएल में मौजूदा समय में तकरीबन 1.63 लाख कर्मचारी हैं जबकि एमटीएनएल में 22 हजार कर्मचारी हैं. पहले के एक अनुमान के मुताबिक, बीएसएनएल और एमटीएनएल के कर्मचारियों को वीआरएस पैकेज देने के लिए 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत पडेगी.


BSNL के पास 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लैंड बैंक मौजूद


हालांकि, बीएसएनएल और एमटीएनएल के पास देश भर में बेशकीमती जमीनें भी मौजूद हैं. इसी लैंड बैंक के भरोसे बीएसएनएल और एमटीएनएल के अधिकारियों को उम्मीद है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए रिवाइवल पैकेज देना सरकार के लिए मुश्किल नहीं होगा. दरअसल, बीएसएनएल के पास देश भर में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लैंड बैंक मौजूद है.


सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पी के मिश्रा समेत टेलीकॉम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के तमाम अधिकारी मौजूद थे. लंबी बैठक के बाद बीएसएनएल और एमटीएनएल का मामला सचिवों की कमेटी को सौंपा गया है जिन्हें अगले 4-5 दिनों में इस निष्कर्ष पर पहुंचना है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल को क्या रिवाइव किया जा सकता है या नहीं.


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