नई दिल्लीः सीबीआई में मचे घमासान के बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की बिगड़ती छवि को बचाने के लिए आखिरकार पीएमओ ने कड़े फैसले लिए और सीबीआई निदेशक समेत तीन बड़े अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया. पीएमओ ने ये फैसला सीवीसी की सिफारिश के आधार पर किया.


सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना की आपसी लड़ाई ने देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित जांच एजेंसी पर बट्टा लगा दिया. एक दूसरे के खिलाफ घूसखोरी के आरोपों और एफआईआर ने सरकार के भी कान खड़े कर दिए. आखिरकार पीएमओ ने रविवार की शाम सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को बुलाकर पूरे विवाद पर रिपोर्ट ली. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि सरकार सीबीआई की साख को बचाने के लिए कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है. मंगलवार की शाम से सीबीआई में अब तक के सबसे बड़े सफाई अभियान की शुरुआत हुई.


सूत्रों के मुताबिक मंगलवार की शाम को सीबीआई निदेशक के खिलाफ शिकायत पर सीवीसी की बैठक हुई. बैठक में सीवीसी ने सीबीआई निदेशक पर लगे आरोपों को गंभीर माना और सरकार को सिफारिश भेजी. सूत्रों के मुताबिक सिफारिश में कहा गया कि आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए दोनों अफसरों यानी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना को हटाना चाहिए. सरकार के आला स्तर पर भी राय यही थी कि निष्पक्ष जांच के लिए दोनों अधिकारियों का हटना जरूरी है.


मंगलवार देर शाम नियुक्ति संबंधी कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई. कमिटी में पीएम के साथ गृह मंत्री भी शामिल हुए. इसी बैठक से सरकार ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर 1984 बैच के ओड़िसा काडर के आईपीएस नागेश्वर राव की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी. साथ ही सरकार ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुये सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा, संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना और ऐके शर्मा को छुट्टी पर भेज दिया.


11 बजे के आसपास नागेश्वर राव को सूचित किया गया और तुरंत चार्ज लेने के लिए कहा गया. तकरीबन एक बजे दिल्ली पुलिस ने सीबीआई दफ्तर को सीज किया. लगभग रात डेढ़ बजे सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव सीबीआई मुख्यालय पहुंचे. मुख्यालय पहुंचकर सबसे पहले उन्होंने चार्ज लिया. सरकार ने सेक्शन 42 के तहत ये आदेश जारी किए हैं, सीवीसी की सिफारिशों को लागू करने के लिए ये आवश्यक भी है.


सरकार के मुताबिक सीबीआई में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बन गयी थी और सीवीसी की सिफारिश पर सरकार ने कदम उठाए हैं. निष्पक्ष जांच हो इसके लिए सीवीसी की निगरानी में जांच हो सकती हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केबिनेट की ब्रीफिंग के दौरान कहा, सीबीआई की इंटिग्रिटी बनी रहे ये जरूरी है. हम ये भी सहन नहीं कर सकते कि देश के बाहर जिन पर आरोप लगते है वो सीबीआई पर सवाल उठा पाये.


सूत्रों के मुताबिक सरकार का ये फैसला सीबीआई की साख बचाने के लिए ज़रूरी था. नए अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने पदभार संभालते ही सबसे पहले सफाई अभियान चलाया और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दिल्ली में सालों से तैनात एक दर्जन से ज़्यादा अफसरों का तबादला भी रात में ही कर दिया.


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