(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Coronavirus के लिए पीएम के सर्वे में फेल हुईं कई बुनियादी जरूरतें, मेडिकल मोर्चे पर जमीनी हालात बेहतर नहीं
लॉक डाउन क़ई घोषणा के बाद 25 से 30 मार्च के बीच प्रशासनिक सुधार और लोकशिकायत विभाग के इस सर्वेक्षण में के जिला अधिकारियों को 20 सवालों के जवाब देने को कहा गया था.
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते मामलों के बीच पहले देशव्यापी प्रशासनिक सर्वेक्षण ने चिंता की कई लाल लकीरें भी खींची हैं. अनेक जिला कलेक्टरों समेत 410 प्रशासनिक अधिकारियों से आए फीडबैक के मुताबिक देश का स्वास्थ्य ढांचा इस महामारी से मुकाबले क़ई मोर्चों पर अब भी बहुत कमजोर है.
देश में 24 मार्च की मध्यरात्रि से लागू 21 दिनी लॉकडाउन लगाए जाने के बाद ज़मीनी तैयारियां आंकने के लिए कराए गए पहले 'कोविड19 प्रिपेयर्डनेस सर्वेक्षण' में यह बात प्रमुखता से सामने आई है कि अधिकतर जिलों में चिकित्सा स्टाफ, उपकरण, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, एम्बुलेंस और ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की कमी है. साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों समेत कई इलाकों में मेडिकल स्टाफ को पर्याप्त प्रशिक्षण की भी ज़रूरत है. जिलों में तैनात कलेक्टर स्तर अधिकारियों और खासतौर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2014-18 बैच अधिकारियों के बीच केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के इस सर्वेक्षण में 266 अधिकारियों ने अपना फीडबैक दिया.
लॉक डाउन क़ई घोषणा के बाद 25 से 30 मार्च के बीच प्रशासनिक सुधार व लोकशिकायत विभाग के इस सर्वेक्षण में के जिला अधिकारियों को 20 सवालों के जवाब देने को कहा गया था. साथ ही लॉक डाउन से लेकर स्वास्थ्य तैयारियों, कानून व्यवस्था इंतजामों व कोविड 19 को लेकर आम लोगों में चेतना पर अपनी आकलन रिपोर्ट भी साझा करने को कहा गया था.
सीधे प्रधानमंत्री के मातहत काम करने वाले इस कार्मिक मंत्रालय की फीडबैक रिपोर्ट में 16 राज्यों के 60 जिलों से आई टिप्पणियों को भी साझा किया गया है. इन टिप्पणियों में अधिकतर अधिकतर जिला कलेक्टरों ने चिकित्सा स्टाफ के लिए ज़रूरी पीपीई के उपलब्धता, टेस्ट लैब व टेस्टिंग किट की कमी जैसे मुद्दों को उभारा है.
इसके अलावा लोगों के अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाने और इसके कारण कोरोना महामारी की रोकथाम में हो रही मुश्किलों का भी उल्लेख किया गया है. यहां तक कि काफी समृद्ध मने जाने वाले दक्षिणी दिल्ली जैसे इलाके की तरफ से दिए फीडबैक में भी कहा गया है कि अस्पतालों में बेहतर उपकरणों की ज़रूरत है.
साथ ही सम्भावित मामलों का पता लगाने के लिए अधिक टेस्ट किए जाने क़ई आवश्यकता है. हालांकि अधिकांश अधिकारियों ने अपने फीडबैक में इस बात को भी रेखांकित किया कि ज़्यादातर आबादी ने जहां जनता कर्फ्यू का पालन किया वहीं लॉक डाउन के नियमों का भी लोग पालन कर रहे हैं. साथ ही राशन आदि ज़रूरी उपयोग से जुड़ी सिविल सप्लाई का काम सुगमता से चल रहा हैं.
यहां पढ़ें
मध्य प्रदेश: इंदौर के बाद मुरैना बना दूसरा हाट स्पॉट, सीएम आज करेंगे लोगों को सबोधित