नई दिल्ली: देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11 हज़ार 500 करोड़ के घोटाले ने हर तरफ भूचाल मचा दिया है. इस घोटाले को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. एक तरफ कांग्रेस कह रही है कि ये महा घोटाला मोदी राज में हुआ तो वहीं बीजेपी का आरोप है कि घोटाले की शुरूआत यूपीए सरकार में ही हुई लेकिन हकीकत ये है कि अगर समय पर सरकारें जागी होतीं इस घोटाले को रोका जा सकता था. घोटाले का खुलासा होने के बाद से अब तक कई ऐसे लोग सामने आ चुके हैं जिनका दावा है कि उन्होंने जांच एजेंसियों से लेकर पीएमओ तक घोटाले की शिकायत की थी .


इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे, आरोपी मेहुल चौकसी के साथ बिजनेस कर चुके बेंगलुरू के हरि प्रसाद और गीतांजलि कंपनी की फ्रेंचाइजी ले चुके वैभव खुरानिया वो लोग हैं जिन्होंने इस महाघोटाले के खुलासे के बहुत पहले ही नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के खिलाफ शिकायतें की थीं.


इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दुबे ने कहा कि 2013 में यानी यूपीए सरकार के समय मेहुल की गीतांजलि कंपनी को कर्ज देने का विरोध किया था जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. दिनेश दुबे ने यह भी बताया कि यूपीए राज में शुरू हुआ घोटाला एनडीए के राज में कई गुना बढ़ा. उन्होंने 2013 में ही गीतांजलि कंपनी के मालिक मेहुल चौकसी को 1500 करोड़ रुपये लेन देने का विरोध किया था लेकिन उनकी नहीं सुनी गई. उल्टा उन्हीं के ऊपर दबाव बढ़ता गया. इलाहाबाद के पूर्व डायरेक्टर के मुताबिक इस खेल में बैंक के अधिकारियों से लेकर बोर्ड सदस्यों तक सब शामिल थे.


 

हरिप्रसाद

पीएनबी घोटाला मामले में सरकार के ढीलेढाले रवैये की पोल खोलते एक और शख्स हैं बेंगलुरू के हरिप्रसाद. जिनका जिक्र सबसे पहले कांग्रेस ने किया. उनका भी दावा है कि जुलाई 2016 में ही उन्होंने पीएमओ को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कोई फायदा कोई नहीं हुआ.


हरिप्रसाद खुद मेहुल चौकसी के साथ बिजनेस कर चुके हैं. उनका दावा है कि तभी उन्हें भनक लग गई थी कि मेहुल चौकसी के कारोबार में बड़ा घपला है. वो विदेश छोड़कर भाग सकता है, लेकिन तमाम शिकायतों को अनसुना कर दिया गया.


वैभव खुरानिया


गीतांजलि कंपनी की फ्रेंचाइजी ले चुके वैभव खुरानिया का दावा है कि उन्होंने 2015 में यानी एनडीए राज में मेहुल चौकसी के खिलाफ पीएमओ में शिकायत भेजी. वैभन ने बताया,'उसके अंदर हमने सारी डिटेल दी थी कि वो कैसे लूट रहा है, बैंक से कैसे लोन ले रहा है.'


वैभव के मुताबिक उन्होंने 2013 में मेहुल चौकसी की गीतांजलि की फ्रेंचाइजी ली थी, इसके लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपए का निवेश किया लेकिन उन्हें गीतांजलि ब्रैंड की जो ज्वैलरी मिली वो बेहद खराब किस्म की थी. शिकायत करने पर गीतांजलि ने वो ज्वैलरी वापस ले ली लेकिन उसके बाद वैभव को कुछ भी नहीं दिया जिस वजह से उन्हें अपना स्टोर बंद करना पड़ा. उनका आरोप है कि इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार होने वाले वो अकेले नहीं हैं.


वैभव ने यह भी बताया कि मेहुल चौकसी की गीतांजलि के खिलाफ इस तरह की धोखाधड़ी के करीब 45 मामले चल रहे हैं. खुद वो 2015 में ही पीएमओ समेत सभी जांच एजेंसियों को शिकायत कर चुके हैं लेकिन चौकसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के इसी रवैए का का नतीजा है कि अब चौकसी पूरे देश को चूना लगा कर निकल गया है.