नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग समेत कई एजेंसियां उसके खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं. चोकसी को भारत लाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. उसपर आरोप है कि उसने अपने भांजे नीरव मोदी के साथ मिलकर एलओयू के जरिए बैंकों को चौदह हजार करोड़ का चूना लगाया. इन सभी आरोपों पर चोकसी ने एबीपी न्यूज़ संवाददाता शीला रावल से बात की. पढ़ें पूरा सवाल और मेहुल चोकसी का जवाब-
सवाल- आपके प्रत्यर्पण की भारत पूरी तैयारी कर रहा है, जोर लगा रहा है, आपका क्या कहना है उस पर?
जवाब- इस समय ये सब जो हो रहा है, पिछले दो महीने से पूरा फोकस मुझ पर शिफ्ट हो गया है, सिर्फ इस वजह से कि मैं छोटे देश में हूं और हो सकता है कि बड़े देशों के मुकाबले छोटे देश में रहने वाले सॉफ्ट टारगेट होते हैं. आपने कहा कि क्या ये राजनीतिक साजिश है तो मैं इसपर यही कहूंगा की हां. सरकार पर विदेश में रह रहे लोगों को वापस लाने के लिए काफी दबाव है. मैं उनके लिए सॉफ्ट टारगेट हूं. अगर मैं आपको बताऊं, ये पूरे फ्रॉड की बात तो मेरी कंपनी ने कोई फ्रॉड या घोटाला नहीं किया है. यह एक धोखाधड़ी की शिकायत थी. बैंक की पूरी रिपोर्टिंग सिस्टम में बहुत खामियां थीं. अभी सीबीआई की रिपोर्ट आई है कि संभवत: इस पूरे मामले में बड़ी संख्या में लोग जवाबदेह हैं. जो भी मैंने पढ़ा पांच सात साल में बड़ी संख्या में बैंक के कर्मचारी इसमें शामिल हो जाते. बैंक ने पूरे मामले को अपने ऊपर लेने की जगह उन्होंने हमें बलि का बकरा बना दिया. सबसे पहले इन लोगों ने 29 जनवरी को एक शिकायत की थी. उसके बाद मेरा नाम कैसे शामिल हुआ, मैं देखकर चौंक गया, मैं आश्चर्यचकित था.
सवाल- आप कहां थे तब?
जवाब- मैं तब अमेरिका में था, मैं इलाज के लिए वहां गया था और जब ये शिकायत आई तभी उन्होंने छापेमारी चालू कर दी. जो भी हुआ वो अभूतपूर्व था. तीसरे दिन ही छापेमारी शुरू कर दी गई, बिना किसी जांच के. मैं पार्टनर (नीरव मोदी का) हूं या नहीं वो भी उनको मालूम नहीं है. तब मैंने बैंक के ऑफिसर को फोन किया कि मेरा नाम क्यों दिया गया?
सवाल- ये जो नीरव मोदी पर सारी कार्रवाई शुरू हुई. उसके साथ आपका नाम आया?
जवाब - कंपनियों में मैं पार्टनर हूं, ऐसा कर उन्होंने मेरी शिकायत डाली. ये 29 जनवरी को हुआ था.
सवाल- क्या आप पार्टनर थे?
जवाब- मैं साल 1998 में एक कंपनी में पार्टनर था और मैं 2000 में रिटायर्ड हो गया. मैंने फोन उठाकर बैंक के ऑफिसर से बात किया तो उन्होंने बताया कि हमारा केवाईसी 1993 का या 1995 का है. जिसमें आप पार्टनर थे. इसलिए मैंने आपका नाम डाला. ओके यही बातचीत हमारी हुई थी.
सवाल- मैं आपसे दोबारा पूछ रही हूं, आपने कहा कि 1998 से लेकर 2000 तक आप पार्टनर थे और 2000 के बाद में?
जवाब- 2000 के बाद हमारा कोई बिजनेस रिलेशन नहीं था. मैं कंपनी से बाहर आ गया और उसके बाद कंपनी से कोई बिजनेस रिलेशन नहीं है.
सवाल- वो पेपर पर नहीं था?
जवाब- निश्चित रूप से वो पेपर पर था, मैं आश्चर्यचकित था. मैं जब बैंक की बात करता हूं तो वो चौकन्ना नहीं थे.
सवाल- मेहुल 18 साल, 2000 से 2018. 18 साल तक अगर आप उस कंपनी में पार्टनर नहीं थे, तो आप बैंक के कागज पर फिर भी पार्टनर थे?
जवाब- जी, ये उन्होंने मुझे फोन किया तो मुझे बताया गया कि हमारे केवाईसी फॉर्म में आपका नाम था. इसलिए आपका नाम डाला गया. तो उसके बाद, मैं तो बाहर था, तो मैंने फोन उठाकर सेबी को इंफॉर्म किया, मैंने सीबीआई को भी सूचना दी. यह सात और आठ फरवरी की बात है. लेकिन तब तक हमारे वहां छापेमारी पड़ चुकी थी. पेनिक चालू हो चुका था और उसके बाद उन्होंने इतने बड़े स्तर पर छापेमारी की. मतलब इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई ने एक साथ छापेमारी की. मेरे सभी अकाउंट बंद कर दिए गए. पीएनबी ने बताया कि यह एक धोखाधड़ी थी और मैं धोखाधड़ी में शामिल था और उन्होंने मेरी सुविधाओं को वापस ले लिया. मेरी तीन कंपनियों के बारे में कही जाती है. वो तीनों कंपनी के पीएनबी में अकाउंट थे. गीतांजली, जिली, नकक्षत्रा और पीएनबी के बीच बड़े वित्तीय लेनदेन थे. तो उन्होंने सभी सुविधाएं वापस ले ली.
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मैंने पीएनबी के ऑफिसर को लिखा कि हम सभी मुद्दों को सुलझाते हैं. क्योंकि ये झूठी शिकायत थी. अचानक ऐसी सुविधाओं को रोक लेना, ऐसे संभव नहीं था. मैं आपसे फिर कहता हूं कि उन्होंने मेरी कंपनी को रोक दी. हमारे सभी बैंक अकाउंट बंद हो गए. हमारी सभी इनवेंटरी 13, 14, 15 के बीच ले ली. लोगों में डर बैठ गया. 13, 14 फरवरी को हमारा सर्वर बंद दिया गया और कंपनी पूरी तरह रुक गई. यह सदमे जैसे था. मैं सर्जरी करा रहा था. मैं दिल की बीमारी का इलाज करा रहा था. मैं यहां से केवल इलाज के लिए गया था. मैं निर्भिक होकर यात्रा कर रहा था. मैं जब पहले हफ्ते में न्यूयॉर्क पहुंचा तो मुझे कुछ हेल्थ की तकलीफ थी, कई हेल्थ चेकअप किया जाना था. चेकअप के बीच में कुछ टाइम मिला तो मैं यहां एनटिगुआ आया था. एनटिगुआ का पासपोर्ट जो मैंने अप्लाई किया था, वो एक साल पहले फरवरी और मार्च में किया था. मैं यहां अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता था. यही मुख्य वजह थी की मैंने एनटिगुआ का पासपोर्ट लिया. यहां के पासपोर्ट से ट्रेवलिंग आसानी से हो जाती. इसलिए मैंने पासपोर्ट लिया. मैंने भाग्य से एनटिगुआ का पासपोर्ट लिया था जिससे मुझे फायदा हो रहा है.
सवाल- आपने बताया कि शायद आपकी यूएस की वीजा खत्म हो गई थी फिर आप नागरिक बन गए एनटिगुआ के और एनटिगुआ आ गए?
जवाब- देखिए, जो भी कुछ हुआ है बहुत गैरकानूनी और मानवाधिकार के खिलाफ है. ऐसा अभूतपूर्व केस? क्या हो गया कि इन लोगों ने छापेमारी की...जो गन चला दी जाती है वो वापस नहीं ली जा सकती है. उन्होंने बाद में संपत्ति जब्त करने के बाद दूसरी एफआईआर की. क्योंकि जो गन एक दफा छूट गई, इतना बड़ा माहौल बनाया गया तो अभी वापस कैसे ले सकते हैं? मैं तो केवल मेरी कंपनी के बारे में बात करूंगा. तो उन्होंने एक दूसरी एफआईआर डाला मेरे ऊपर.
सवाल- मेहुल आपके साथ ऐसा क्यों, मुझे याद है कि आप बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ दिखे थे, हीरा बाजार को एक्सपेंड करने की बात हो रही थी और वैसे में अचानक ऐसा एक्शन हुआ तो आपको क्या लगता है कि आपकी गलती कहां हुई?
जवाब- मेरी गलती केवल एक ही थी कि मैं एक महीना काम पर नहीं था. मैं हॉस्पिटल में था और सर्जरी के बाद मैं बेड रेस्ट पर था और मेरी फैमली को ये सब से मुझे दूर रखना था. इसलिए एक महीना काफी देर हो गया था. 15 फरवरी को मेरे ऊपर कार्डियक प्रोसिजर हुई. मैं काफी देर हो चुका था. मेरी कंपनी करीब-करीब खत्म हो चुकी थी. आप जानते हैं कि सरकार बैंक को को बचाना चाहती है. आप कह रहे हैं कि गीतांजली एक बड़ी कंपनी थी. तो क्यों नहीं इतने सालों से ईडी या अन्य विभागों को शिकायत मिली. यह कंपनी 50 साल पुरानी है. 1964 में इसकी शुरुआत हुई थी. इतने सालों में 150 अवॉर्ड्स हम लोग जीत चुके हैं, तो क्यों सरकार ने अभी तक कोई इनक्वायरी नहीं की? और अचानक ये सब आ गया. क्योंकि यह सिर्फ राजनीतिक मसला था और एक पार्टी कह रही है कि बैंक को इतना बड़ा नुकसान हुआ. ये किया वो किया. तो इसलिए मैं पूरे मामले में सॉफ्ट टारगेट बन गया.
सवाल- जो मुझे आपकी बात से समझ आया मेहुल कि जब नीरव मोदी की कुछ कंपनियों पर पीएनबी ने कार्रवाई की और उस एक कंपनी में आपका नाम आया और आपके खिलाफ कार्रवाई होने लगी?
जवाब- जी..जी..जी..
सवाल- पर कहीं ना कहीं ये तो है ना कि आप नहीं तो नीरव मोदी तो इस सारी चीज में जिम्मेदार हैं या उनसे गलती हो गई है?
जवाब- मैं किसी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. लेकिन मैं एक चीज कह सकता हूं. जहां तक मेरी बात है तो मैंने जो समझा है कि मैं फाइनेंस का आदमी नहीं हूं. लेकिन मैं समझता हूं कि बैंक में इसकी बहुत जटिलता है. हमारे पास पहले भी एक-दो साल से पीएनबी के बारे में जानकारी थी. उन्होंने आरबीआई को एक्सपोर्ट और इंपोर्ट संबंधी जानकारी नहीं दी थी. ऐसा कई बैंकों में हो रहा था. आप समझिए कि बैंक के अंदर कम-से-कम एक साल के अंदर 25 से 30 ऑडिट होते हैं. इतने साल से मैं काम कर रहा हूं. पेमेंट आता है, जाता है. क्या कोई भी चीज डिटेक्ट नहीं होती अभी तक? मुझे आश्चर्य है वहां काफी लोग काम करते हैं. इतना बड़ा सिस्टम है. क्या ये पहले पकड़ा नहीं जाता?
सवाल- पर आरोप ये भी है कि मेहुल कि बैंक के कुछ कर्मचारियों की वजह से ये सारा कांड हुआ, घोटाला हो पाया है?
जवाब- जो मुझे मानने में नहीं आ सकता है कि ऐसा कभी हो सकता है एक बैंकिंग सिस्टम में.
सवाल- ईडी, सीबीआई दोनों ने आप पर अभी चार्जशीट लगा दी है, जिसमें 420, फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे संगीन आरोप हैं, आप उसका क्या जवाब देंगे?
जवाब- पचास साल से कोई कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही हो और अचानक एक साल के अंदर ये सब? अभी तो ये राजनीतिक दबाव है कि कहीं से मुझे लाना है. मेरे ऊपर हर रोज, जो मैंने अभी सुना है कि कई और एजेंसी आपराधिक शिकायत करेगी. ये भारत में कभी नहीं होता था कि 15 से 17 एजेंसी पीछा कर रही है. मेरा सर्वर 15 फरवरी से बंद है. तो मेरा कोई भी आदमी क्या रिपोर्ट कर सकेगा? कोई भी चीज रिपोर्ट करने के लायक नहीं है. क्रिमिनल केस बनाने के लायक नहीं है. मूल रूप से जो कुछ भी हो रहा है यह पूर्णत: मानव अधिकारों के खिलाफ है.
सवाल- आपके यहां छापेमारी में, आपकी ज्वैलरी और बहुत कुछ मिला. आपके बहुत सारे फ्रेंचाइज पर रेड हुई और अभी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आपकी कुछ प्रॉपर्टीज भी सील हो गई हैं?
जवाब- शायद ये लोगों ने सात से आठ हजार करोड़ का मेरी ज्वैलरी और प्रॉपर्टीज और सब जब्त कर चुके हैं. पहले केस में मेरे खिलाफ एफआईआर हुई. जिस केस में मैं शामिल नहीं हूं. उसमें भी कार्रवाई हुई. सीबीआई और ईडी की रिपोर्ट कह रही है. कंपनी बंद हो चुकी है और कम से कम तीन चार हजार करोड़ रुपये का माल बाहर था, कई ग्राहकों के पास उसके बारे में मालूम नहीं है. अभी कंपनी बंद है और एक भी आदमी मेरी रिपोर्टिंग में नहीं है. यह बहुत उदास करने वाला है.
सवाल- कितने लोग आपकी कंपनी में काम करते थे?
जवाब- कंपनी के अंदर कम से कम 6 हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करते थे. जब रेड हुई तो सभी कंपनियां चालू थीं. कोई दिक्कत नहीं थी और अचानक कंपनी को बिना जांच किये बंद कर दिया गया. हिंदुस्तान में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. ये कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि राजनीतिक दबाव था.
सवाल- मेहुल ऐसा तो है न कि जहां आग होती है वहीं धुआं दिखता है. आपने कहा कि आप कभी डिफॉल्टर नहीं थे ये घटना से पहले और हीरा बाजार में बैंक से क्रेडिट लेकर धंधा करने की जो परंपरा है, वो हर कोई इस्तेमाल करता है. वो हर व्यापारी इस्तेमाल करता है. तो आपके केस में और नीरव के केस में कहीं न कहीं ऐसा जरूर है कि कुछ हुआ है? आप कह रहे हैं कि विक्टिम हैं और आपके साथ गलत हुआ है तो वो गलत कहां हुआ है?
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जवाब- चलिए, हम इसकी गहराइयों में नहीं जाते हैं. अगर आप देखेंगे तो मेरी कंपनियां बैंक के साथ शायद 1995 से जुड़ी थी. आज तक मेरी बैंक के साथ कोई प्रॉब्लम नहीं हुई. बैंक और रिजर्व बैंक के रिपोर्टिंग सिस्टम में गड़बड़ियां हैं. मैं समझता हूं कि मुझे सिर्फ निशाना बनाया गया. बैंक में फॉल्ट था और इसी से बचने के लिए निशाना बनाया गया. उन्होंने भारत लौटने के सवाल पर कहा कि मैं ईमानदारी से कह रहा हूं कि जो भी मेरा मेडिकल जांच हुआ और उसके बाद जो भी मेरा कंडीशन है, मेरा परिवार सदमे में है कि मैं आज भारत जाऊं तो क्या होगा मेरे साथ?
सवाल- आपने कहा कि चुनाव आ रहा है इसलिए आपको सॉफ्ट टारगेट बनाया जा रहा है और छोटे से देश में आप हैं तो आपको छोटे से देश से निकाला जा सकता है. ऐसा क्यों करेगा आपके साथ कोई?
जवाब - मुख्य बात है कि इस चुनाव में जो बैंक के डिफॉल्टर हैं उनमें से किसी एक को भी नहीं लाया गया तो शायद चुनाव इधर से उधर हो सकता है. मैं अपने प्रधानमंत्री और सरकार का बहुत सम्मान करता हूं. शायद ये लाखों करोड़ों की अच्छाई के लिए हो कि एक को इंडिया में लाएं. मैं कभी डिफॉल्टर नहीं था. मेरी कंपनी बंद हो जाएगी, अगर मेरा माल जब्त कर लेंगे, मेरा अकाउंट जब्त कर लेंगे, अगर मेरी कंपनी बंद हो जाएगी, मेरे कोई वर्कर काम नहीं करेंगे तो डिफॉल्टर नहीं होगा तो क्या होगा? बहुत झूठी शिकायतें दर्ज कराई गईं. सारी की सारी शिकायतें शिकायतें झूठी हैं. मशीनरी अब जब एक दिशा में जा चुकी हो तो यह रिवर्स नहीं हो सकता.
सवाल - आपने कहा कि आप भांजे नीरव मोदी के पिता की तरह हैं, क्योंकि आपकी बहन बहुत पहले चल बसी है.
जवाब - सॉरी
सवाल - आपने कहा कि मुंबई में आपको डिफेंड करने वाला कोई नहीं है और जब भी आप किसी व्यापारी को फोन करते हैं तो डर लगता है?
जवाब - परिवार क्या, अगर मैं किसी को भी इंडिया में फोन करता हूं तो उनको डर लगता है. आज से नहीं 15 फरवरी से कोई भी मुझसे बात नहीं कर रहा है. कोई कर्मचारी बात नहीं कर रहा है. कोई व्यापारी बात नहीं कर रहा है. कोई सगा, दोस्त, परिवार के दोस्त कोई भी बात नहीं कर रहा. सब बहुत डरे हैं.. कोई भी मुझसे संबंध रखना चाहता है तो उसके यहां रेड पड़ जाती है.
सवाल - ऐसा हुआ है?
जवाब - आजकल जो आतंक हैं वही मैंने बताया.
सवाल - अगर आप ये केस एंटीगुआ के नागरिक बनने के बाद में प्रत्यर्पण का केस जीत लेते हैं तो क्या आपको पता है कि आप भारत कभी लौट नहीं पाएंगे?
जवाब - मैं भगवान पर भरोसा करता हूं, मुझे लोकतंत्र में विश्वास है. आखिर में मुझे इंसाफ मिलेगा और पूरा इंसाफ मिलेगा. मैंने सपनों में कभी खराब काम नहीं किया है. जैसे खराब दिन आएं हैं वैसे अच्छे दिन आएंगे.
सवाल - आपने मुझे कहा कि मुंबई में अगर मिलती तो मेरे पास समय नहीं था पर कल मैंने पूछा कि कब मिलेंगे तो आपने कहा कि मेरे पास समय ही समय है. ये जो आपकी जिंदगी में बदलाव आया है उससे कैसे डील कर रहें हैं. आप एंटीगुआ में क्या कर रहे हैं?
जवाब - मैं मेडिकल ट्रीटमेंट करा रहा हूं. थोड़ा समय वकीलों के साथ बिताता हूं. ऐसे ये प्यारा देश है तो समय निकालने की कोशिश कर रहा हूं और समय निकालकर कुछ ना कुछ करूंगा.
सवाल- इसी देश से?
जवाब - मैं एक आजाद पक्षी की तरह जीना चाहता हूं. इसके बारे में कोई शक नहीं है. किसी का भी कहीं भी जाना उसका हक है.
सवाल - क्या आप भारत को मिस करते हैं?
जवाब - (उत्तर देने से पहले रोने लगे चोकसी) कौन नहीं करेगा? मैंने अपनी सारी जिंदगी यहां निकाली है. मेरी एक ख्वाहिश है कि मेरे कर्मचारियों के साथ बहुत नाइंसाफी हुई है. 6000 कर्मचारियों को शायद उनकी जो भी ग्रेच्युटी नहीं मिली है तो उसके लिए मैं सरकार से प्रार्थना करूंगा कि उन्हें पैसे दे दें. मैं अपने लिए नहीं मांग रहा हूं अपने कर्मचारियों के लिए मांग रहा हूं. मैंने 5 साल से मेहनत करके 500-600 दिव्यांग लोगों को भर्ती किया था और एक सपना था कि इनलोगों को टर्नओवर करके दूसरी कंपनी में शिफ्ट करता जाऊंगा. उनलोगों का खयाल रखा गया. सूरत में उनको बुलाकर काम दिया जाए और इनलोगों को ग्रेच्यूटी देनी चाहिए सरकार को.
सवाल - दिव्यांग लोग जिनको आपने ट्रेनिंग दी थी?
जवाब- मैं लोगों से प्रार्थाना करूंगा जो मेरी कंपनी से जुड़े हैं. मैं प्रार्थना करूंगा कि ये लोग सुखी रहें और उनका बकाया अच्छे से दिया जाए.
सवाल- जब आपकी कंपनी गीतांजली और नक्षत्र पर छापे पड़े थे तो बहुत सारी फ्रेंचाइचीज पर रेड पड़ी थीं?
जवाब- 7-8 कुख्यात फ्रेंचाइची का ग्रुप है. जिनके पास मेरा बहुत सारा माल पड़ा हुआ है. ये बहुत सालों से चल रहा है. इनलोगों से 200-250 करोड़ का माल लेने के लिए मैंने शिकायत की थी. इनलोंगो ने इकट्ठा होकर ये पूरा सर्कस चालू किया कि उनलोगों को मुझसे कुछ लेना है. मेरे पूर्व के एक एमडी के साथ मिलकर ये सब हरकतें की जा रही है. आजतक एक भी केस में सफल नहीं हुए हैं. अभी मैं नहीं हूं तो ये क्या काम कर रहे हैं. ये मेरी जानकारी में नहीं है.
सवाल - मैंने सुना है कि आप पर पहले भी कुछ केस थे?
जवाब - अगर 4000 दुकानों में मेरा माल जाता है तो कुछ ना कुछ उनका मुझपर और कुछ हमारा उनपर केस बनेगा. ये तो रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है. मैं आजतक किसी भी अपराधिक मामले में पुलिस चौकी नहीं गया हूं. कभी भी कोर्ट में कोई भी ऐसा केस नहीं हुआ है और ऐसा होने की कोई उम्मीद ही नहीं है. मेरी कंपनी एक बड़ी कंपनी थी. कंपनी को सामाजिक सरोकार के कामों के लिए सरकार ने 150 से ज्यादा पुरस्कार दिया है. उसके अलावा कंपनी दुनिया के बड़ी लग्जरी कंपनियों में शुमार की गई है.
सवाल - आप जो स्टॉक लाते हैं उसका हिसाब होता है?
जवाब - इसे जाने दें.
सवाल - आपने कहा कि इतना सारा मेरा स्टॉक ले लिया तो प्रीति बेन ने कहा था कि सारा पंजाब नेशनल बैंक के लॉकर में रखा है. उनको क्यों दिया ?
जवाब - वो सब छोड़ दीजिए.