PNB घोटाला: ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम, नीरव मोदी के पास थे बैंक के सीक्रेट पासवर्ड?
जांच एजेंसियों को शक है कि जिस स्विफ्ट सिस्टम का इस्तेमाल बैंक विदेशी लेन देन में करते हैं उनके पासवर्ड का पता नीरव मोदी या उनकी कंपनी के कुछ लोगों को भी था.
नई दिल्ली: पीएनबी का जो घोटाला जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं, क्योंकि इस बात पर यकीन करना बेहद मुश्किल है कि सिर्फ पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुल शेट्टी की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया है. जांच एजेंसियों को शक है कि जिस स्विफ्ट सिस्टम का इस्तेमाल बैंक विदेशी लेन देन में करते हैं उनके पासवर्ड का पता नीरव मोदी या उनकी कंपनी के कुछ लोगों को भी था.
स्विफ्ट सिस्टम का पासवर्ड नीरव मोदी या उसकी कंपनी के लोगों के पास होने का मतलब ये है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों से लेन देन अपनी मुट्ठी में आ जाना है.
आपको बता दें दुनियाभर के बैंक स्विफ्ट सिस्टम के जरिए आपस में जुड़े होते हैं, इसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकों में लेन देन होती है. नीरव मोदी को विदेश में लोन का अप्रूवल भी स्विफ्ट सिस्टम के जरिए ही दिया जाता था.
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को शक है कि रकम की इस अदला बदली को लेकर स्विफ्ट मैसेज का कोड मामा भांजे की कंपनी के लोगों को भी दिया गया था और वहां से भी फेरबदल होता रहा होगा.
दरअसल, जांच एजेंसियों को गिरफ्तार किए गए पीएनबी के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुल शेट्टी के कंप्यूटर और सर्विस फाइल से कई बड़ी जानकारियां हाथ लगी हैं. पता चला है कि स्विफ्ट मैसेज विदेशी बैंकों को भेजते वक्त बदल दिए जाते थे.
मैसेज बदलने के बाद सारा खेल अपने काबू में होता था. इसका मतलब हुआ कि-
- मान लीजिए नीरव मोदी को विदेश में 50 करोड़ रूपए की पेमेंट करनी है.
- मिलीभगत होने की वजह से गोकुल शेट्टी ने स्विफ्ट सिस्टम में नीरव मोदी के नाम पर पचास करोड़ की जगह सिर्फ 5 लाख रूपए लोन की एंट्री की
- पैसे कम होने से जल्दी ही इसे अप्रूवल मिल जाता है
- फिर गोकुल शेट्टी अप्रूवल मैसेज में पांच लाख को बदलकर पचास करोड़ कर देता
- इसके बाद स्विफ्ट सिस्टम के जरिए ये मैसेज विदेश में मौजूद बैंक को भेज देता
- विदेश में मौजूद बैंक को अप्रूवल कोड के साथ पचास करोड़ का लोन दिखायी देता
- बैंक बिना किसी पूछताछ के पैसा नीरव मोदी को दे देता था
इस तरह स्विफ्ट मैसजों को बदलकर इतनी बड़ी धोखाधड़ी लगातार की गयी, लेकिन गोकुल शेट्टी ने सिर्फ यहीं पर धोखेबाजी नहीं की बल्कि वो एक ही ब्रांच में आठ साल तक टिका रहा जो बहुत बड़ा शक पैदा कर रहा है.
सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच की आंच बैंक के आला प्रबंधन तक भी पहुंच सकती है क्योंकि सीवीसी की गाइड लाइन के मुताबिक एक अधिकारी को एक जगह पर तीन साल से ज्यादा तैनात नहीं किया जा सकता. आला प्रबंधन शक के घेरे में हैं क्योंकि गोकुल शेट्टी को एक ही ब्रांच में एक ही पद पर रखने वाला शख्स कौन था?
ये सवाल इसलिए क्योंकि गोकुलनाथ शेट्टी के लिए बगैर किसी मदद के इतना बड़ा घोटाला करना मुमकिन नहीं है. इसका खुलासा होना अभी बाकी है.