कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के जाने माने नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को समय से पहले ही जेल से रिहा किया जा रहा है. वह दोनों पिछले 20 सालों से सजा काट रहे थे. लेकिन उनकी खराब होती सेहत और अच्छे आचरण को देखते हुए उनकी बाकी बची सजा को माफ कर दिया गया है. 


दरअसल राज्य जेल प्रशासन विभाग ने यूपी की 2018 की छूट नीति और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उनकी समय से पहले रिहाई के आदेश जारी किए हैं. इस आदेश में कहा गया है कि 60 साल से ज्यादा के उम्र के कैदी ने अगर 16 साल की सजा पूरी कर ली है तो वह छूट के पात्र हैं. 


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जहां एक तरफ कई सवाल उठाए जा रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ महाराजगंज के नौतनवां कस्बे में पूर्व मंत्री के आवास पर उनके समर्थकों की भीड़ लग गई. नेता जी के प्रशंसक उनकी रिहाई का जश्न मिठाई और ढोल बजाकर मना रहे हैं.


ऐसे में इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि आखिर कवयित्री मधुमिता शुक्ला कौन हैं और जिसके हत्या के कारण अमरमणि त्रिपाठी को दो दशक (20 साल) जेल में बिताना पड़ा.


कवयित्री मधुमिता शुक्ला


24 साल की कम उम्र में ही कवि सम्मेलनों की रौनक बन चुकी मधुमिता शुक्ला एक बेहद ही साधारण परिवार से थीं. उन्हें कविताओं का शौक था और अपनी कविताओं से ही उनकी पहचान भी बननी शुरू हो गई थी. लेकिन 9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. 


जिस वक्त मधुमिता की हत्या हुई वह 24 साल की थी और सात महीने की गर्भवती थी. उनकी हत्या की साजिश रचने का दोषी तत्कालीन बीएसपी सरकार में प्रभावशाली मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को ठहराया गया और साल 2007 में देहरादून की एक कोर्ट ने अमरमणि और उसकी पत्नी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जांच के दौरान यह आरोप लगाया गया था कि अमरमणि का शुक्ला के साथ संबंध था.


कैसे हुई मधुमिता और अमरमणि की मुलाकात 


उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता 16 साल की उम्र से ही वीर रस की कविताएं लिख रही थी. वह सिर्फ कविता लिखती ही नहीं बल्कि अपनी उन्ही कविताओं को खुद गाती भी थी. उसकी लिखी कविताएं राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा देते थे. अपनी कविताओं से बहुत ही छोटी सी उम्र में ही मधुमिता ने एक पहचान बना ली थी. 


इसी दौरान साल 2000 से 2001 के बीच उनकी मुलाकात तत्कालीन बीएसपी सरकार में प्रभावशाली मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी से हुई. उस वक्त अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के जाने माने नेता थे. दोनों की मुलाकात जल्द ही दोस्ती में बदल गई और नजदीकियां बढ़ने लगी. 


कहा जाता है कि मधुमिता का अमरमणि के घर भी आना जाना बेहद आम हो गया था. उनकी अमरमणि की पत्नी और मां से भी काफी अच्छे रिश्ते थे. दोनों का रिश्ता काफी लंबे समय तक चला, इस रिश्ते को लेकर लोगों के बीच चर्चाएं भी थी लेकिन एक दिन अचानक यानी 9 मई 2003 में चौंकाने वाली खबर सामने आई. 


साल 2003 में हुआ कत्ल


मधुमिता को लखनऊ में पेपर मिल सोसाइटी में सुबह-सुबह किसी ने गोली मार दी गई थी. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि मधुमिता 7 महीने की प्रेग्नेंट थी. ये बात सबसे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही सामने आई. ऐसे में अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते की बात भी सामने आने लगी और मधुमति के परिवार वालों ने अमरमणि पर हत्या की साजिश का केस दर्ज करवाया. जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि मधुमिता अमरमणि के बच्चे की ही मां बनने वाली थी. 


इस मामले की जांच से ये भी साफ हो गया कि मधुमिता की हत्या में अमरमणि और उसकी पत्नी मधुमणि शामिल थी. दोनों पर सालों तक केस चलता रहा. मधुमिता के परिवार वाले सालों तक बिना हार माने अमरमणि के खिलाफ लड़ते रहे. आखिरकार साल 2007 में निचली अदालत ने अमरमणि, उनकी पत्नी, उनके भतीजे सहित एक शूटर को दोषी ठहराया. इसी साल अमरमणि और उनकी पत्नी को उम्र कैद की सजा हुई. 


अब जानते हैं कौन है अमरमणि


गैंगस्टर से नेता बने और चार बार विधायक रहे अमरमणि साल 2002-03 में मायावती सरकार में आखिरी बार मंत्री बने थे. उन्होंने कल्याण सिंह (1997), राम प्रकाश गुप्ता (1999) और राजनाथ सिंह (2000) के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में भी मंत्री रह चुके थे. अमरमणि ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पूर्वी यूपी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से की और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. जब उनकी गिरफ्तारी हुई तब वह समाजवादी पार्टी से जुड़े थे. 


अमरमणि की तरफ से गाड़ियों के कागजात लगाए गए


बता दें, अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी 25-25 लाख के निजी मुचलके और 25-25 लाख के 4 जमानतदार की जमानत पर छोड़े गए हैं. अमरमणि की तरफ से डीएम ऑफिस में 6 गाड़ियों के कागजात मुचलके के लिए लगाए गए.


रिहाई के आदेश पर बेटे ने क्या कहा?


अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई के आदेश पर उनके बेटे अमनमणि ने एक बयान में कहा कि भारत के संविधान ने एक आम आदमी को जो अधिकार दिया है, वो ही अधिकार हमें भी मिला है. यह रिहाई भी नियमों के तहत हुई है. उन्होंने अपने माता पिता की रिहाई के लिए संविधान, अदालत और देश की जनता का शुक्रिया भी अदा किया. अमनमणि पिछले 20 साल से अपने मां-बाप के बिना ही लड़ाई लड़ रहे थे. 


इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार अमनमणि ने बताया कि फिलहाल उनके माता-पिता की तबीयत ज्यादा खराब है. कुछ दिनों के लिए वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही रहकर इलाज करवाएंगे. इसके बाद डॉक्टर की इजाजत मिलते ही उस हिसाब से आगे का निर्णय लिया जाएगा. जरूरत पड़ी तो हम डॉक्टर के परामर्श के बाद बेहतर इलाज के लिए किसी बड़े अस्पताल भी ले जाएंगे.


खराब सेहत के कारण अस्पताल में ही बीता ज्यादा समय 


मिली जानकारी के अनुसार अमरमणि और उनकी पत्नी की जेल में सजा काटने के दौरान तबीयत ज्यादातर खराब ही रहती थी. यही कारण था कि सजा के दौरान भी उनका ज्यादातर समय गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में. अभी भी वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में अपना इलाज करवा रहे हैं.  इस हॉस्पिटल के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी का इलाज चल रहा है और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी भी एडमिट हैं. 


मधुमती शुक्ला की बहन ने किया विरोध 


कोर्ट के इस फैसले का मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने विरोध किया है. निधि के वकील ने कहा कि दोनों दोषी 14 साल से जेल की सजा काटने की जगह अस्पताल में है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर आठ हफ्तों में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि अगर हम आपसे सहमत होंगे तो वापस उन्हें जेल भेज देंगे.