चुनाव से पहले क्यों गरमा रहा PoK पर कब्जे का मुद्दा? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- धैर्य रखिए...
PoK Issue: पीओके के मुद्दे को हवा ऐसे वक्त में दी जा रही है, जब देश में चुनावी माहौल गरम है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. वहीं 2024 पर भी बीजेपी की नजरें हैं.
PoK Issue: पाकिस्तान इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, पहले आर्थिक तंगी और उसके बाद आई भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान को बुरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया है. अब पूर्व पीएम इमरान खान पर गोली चलने के बाद राजनीतिक अस्थिरता का खतरा मंडरा रहा है. इसी बीच पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्क भारत में पाक अधिकृत कश्मीर यानी PoK को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. रक्षा मंत्री से लेकर सेना के बड़े अधिकारी तक इस मामले पर खुलकर बोल रहे हैं. ताजा मामला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रैली का है, जिसमें पीओके चाहिए के नारे लगे.
अब पीओके के मुद्दे को हवा ऐसे वक्त में दी जा रही है, जब देश में चुनावी माहौल गरम है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में कश्मीर और पीओके जैसे मुद्दे भी काफी अहम हो जाते हैं. अब चुनाव से पहले PoK को लेकर शुरू बयानबाजी को विधानसभा ही नहीं बल्कि आने वाले लोकसभा चुनाव के नजरिए से भी देखा जा रहा है.
PoK पर रक्षा मंत्री बोले- धैर्य रखिए...
पहले आपको बताते हैं कि हाल फिलहाल में PoK को लेकर किसने क्या बयान दिया है. सबसे पहले ताजा मामले की बात करते हैं. हिमाचल प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, पीएम मोदी से लेकर तमाम बड़े नेताओं की रैलियां हो रही हैं और सत्ता में वापसी के लिए पूरी कोशिश जारी है. इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 3 नवंबर को कांगड़ा के जयसिंहपुर पहुंचे. जहां उन्होंने एक रैली को संबोधित किया. इस रैली के दौरान अचानक कुछ लोग पीओके चाहिए, पीओके चाहिए के नारे लगाने लगे. इस पर रक्षा मंत्री ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और कहा- आप धैर्य रखिए...
इससे करीब एक हफ्ते पहले 27 अक्टूबर को भी राजनाथ सिंह का एक बयान खूब चर्चा में रहा था. कश्मीर में शौर्य दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि "अभी हमने उत्तर की ओर चलना शुरू किया है. ये यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 में भारतीय संसद में लाए गए प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके तहत हम बाकी बचे हिस्से जैसे गिलगित-बल्तिस्तान तक पहुंचेंगे."
सेना को सरकार के आदेश का इंतजार
रक्षा मंत्री के बयान तो आपने देख लिए, लेकिन उनके अलावा सेना के अधिकारी भी पीओके को लेकर खुलकर बोल रहे हैं. हाल ही में चिनार कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि "हम सरकार के आदेश पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं." लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ही बयान पर ये जवाब दिया था.
इससे पहले बीजेपी के कई छोटे और बड़े नेता पीओके की वापसी को लेकर ऐसे बयान दे चुके हैं. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि जैसे हमने कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया, वैसे ही PoK को भी आजाद करेंगे. केंद्रीय मंत्री कपिल पाटिल ने भी 2024 तक पीओके के भारत में शामिल होने की बात कही थी.
क्यों गरमा रहा PoK का मुद्दा?
अब उस सवाल पर आते हैं कि आखिर पिछले कुछ दिनों से लगातार पीओके का मुद्दा क्यों गरमाया जा रहा है. इसे दो तरीके से देखा जा रहा है. पहला इसे गुजरात विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, इस मुद्दे को हवा देकर बीजेपी कहीं न कहीं चुनावों में इसे भुनाना चाहती है. वहीं राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि बीजेपी की नजरें 2024 के लोकसभा चुनावों पर हैं. पिछले चुनावों में आर्टिकल 370, राम मंदिर, सर्जिकल स्ट्राइक और तमाम ऐसे मुद्दे थे जिन्हें बीजेपी के तमाम नेताओं ने हर चुनावी रैली में उठाया. अब 2024 में बीजेपी के पास राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. इसीलिए अब पीओके को हवा दी जा रही है.
बीजेपी नेताओं के ये बयान सामने आने लगे हैं कि 2024 तक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमारा होगा. यानी अगले चुनाव तक पूरा माहौल तैयार करने की कोशिश हो रही है. मुमकिन है कि PoK की वापसी का मुद्दा लोकसभा चुनाव की रैलियों में गूंजे.
कैसे अलग हुआ था पीओके?
जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह के खिलाफ पाकिस्तान ने 1947 में हमला बोल दिया. इसके बाद कश्मीर के आधे हिस्से, जिसे अब पीओके कहा जाता है, उस पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया. भारत ने तब इस शर्त के साथ राजा हरि सिंह को मदद दी थी कि वो कश्मीर को भारत में शामिल कर लेंगे. 1974 में आजाद कश्मीर अंतरिम संविधान कानून पारित किया गया जिसके तहत आज पीओके पर शासन किया जाता है.
पीओके पर कब्जा कितना मुश्किल?
अब सवाल ये है कि पीओके को फिर से भारत में लाने के दावों में कितना दम है? ऐसा फिलहाल तो मुमकिन नहीं नजर आता है, क्योंकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई आसान बात नहीं है. ये सीधे तौर पर पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड़ने जैसा होगा. अगर वाकई ऐसा हुआ तो जो हालात अभी रूस और यूक्रेन के बीच हैं, वही हालात भारत और पाकिस्तान के बीच भी हो सकते हैं. यानी भारत को पीओके के लिए पूरी सैन्य ताकत झोंक देनी होगी, वहीं पाकिस्तान भी परमाणु हथियारों समेत तमाम तरह के आधुनिक हथियारों वाला देश है. यहां हर बार बजट में सबसे ज्यादा हिस्सा रक्षा विभाग को ही जाता है. यानी जनता की भावनाओं को उत्तेजित करने के लिए भले ही नेता मंच से पीओके पर कब्जे का दावा करें, लेकिन फिलहाल ऐसा मुमकिन नजर नहीं आता है.
ये भी पढ़ें - Hate Speech: हेट स्पीच पर नेताओं को क्यों नहीं मिल पाती है आजम खान जैसी सजा? कानून एक्सपर्ट ने बताई असली वजह