Malwani Violence In Ram Navami Procession: राम नवमी के दौरान मुंबई मालाड के मालवानी इलाके में कुछ शरारती तत्वों ने उपद्रव मचाया. इसे लेकर पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है. दरअसल अब वो ही पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं. इस  मामले में जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है, वो अब अपनी बेगुनाही के लिए घटना के दिन की वीडियो फुटेज का सहारा ले रहे हैं. 


ऐसे ही एक शख्स समाजसेवी जमील मर्चेंट हैं. उन्होंने कोर्ट को खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए कोर्ट में वीडियो फुटेज पेश किया. इसके आधार पर उन्हें अग्रिम जमानत मिली.


क्या था मामला?


मालाड पश्चिम मालवानी इलाके में रामनवमी के दौरान हिंसा हुई थी. इस दिन जुलूस पर पांच नंबर सवेरा बिल्डिंग के पास से गुजरते समय अचानक चप्पल फेंकने और पत्थरबाजी की घटना हुई. इस वजह से दोनों पक्षों के बीच नारेबाजी और झड़प हुई. हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची.


पुलिस ने घटना में शामिल 12 नामजद और  300 से 400 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसमें मालवानी इलाके के सोशल एक्टिविस्ट जमील मर्चेंट का नाम भी शामिल था.


कोर्ट में दिखाया वीडियो


जमील मर्चेंट ने कोर्ट में अपनी पेशी के दौरान अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा, "पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने खुद उन्हें बुलाकर मामले को शांत करने का आग्रह किया था. इसके बाद उन्होंने लोगों से शांत होने की अपील की थी, लेकिन ताजुब्ब तो तब हुआ जब पता चला कि पुलिस ने हिंसा भड़काने के मामले में उन्हें भी नामजद कर लिया है."


जमील मर्चेंट का आरोप है कि पुलिस की ये एक सोची समझी साजिश थी. उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है. जमील का दावा है कि उनके पास घटना के दिन के सारे वीडियो फुटेज मौजूद हैं.


उन्होंने आरोप लगाया कि इससे साफ पता चलता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी खुद ही भीड़ को मस्जिद और सवेरा कंपाउंड में घुसा रहे हैं. पुलिस ने पहले सहयोग की सराहना की, लेकिन मामला शांत होते ही उन्हें इस मामले में फंसा दिया गया.


पुलिस ने इस मामले में अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इस मामले में जमील मर्चेंट ने सारे फुटेज कोर्ट में रखें. इसके आधार पर उन्हें अग्रिम जमानत दी गई.


जमील मर्चेंट का आरोप है कि घटनास्थल पर पहुंचे पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा का एक समूह के लोगों से मिलना सवालिया निशान खड़ा करता है. ये भी सवाल उठ रहा की पालक मंत्री जब शहर के हैं तो उन्हें दोनों समुदाय के लोगों से मिलना चाहिए था. 


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