Delhi Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड (Delhi Mundka Fire) के मामले में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने शनिवार सुबह मुंडका थाने में आईपीसी की धारा 308, 304, 120 बी और 34 की धारा के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की. फिलहाल इसमें 5 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें बिल्डिंग का मालिकना हक रखने वाली सुशीला लाकड़ा, उनका बेटा मनीष लाकड़ा, मनीष की पत्नी सुनीता लाकड़ा के साथ साथ इस प्रॉपटी को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किराए पर लेने वाले दो भाई हरीश गोयल और वरुण गोयल शामिल हैं. गोयल बंधुओं को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि लाकड़ा परिवार अभी फरार है.
बिल्डिंग का मालिक मनीष लाकड़ा है, जिसके पिता बलजीत लाकड़ा की मौत हो चुकी है. इस बिल्डिंग में बेसमेंट बना हुआ है. ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें हैं. जबकि पहली से तीसरी मंजिल तक कॉफे इमपेक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का ऑफिस है. इसमें सीसीटीवी कैमरे, सिम, राउटर पार्ट्स की असेम्बलिंग इंपोर्ट करके ट्रेडिंग की जाती है. कंपनी के मालिक पीतमपुरा निवासी हरीश गोयल और उसका भाई वरुण गोयल हैं. इनके पिता का नाम अमरनाथ गोयल हैं.
एसएचओ ने खुद दर्ज करवाई शिकायत
मुंडका थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर गुलशन नागपाल की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है. जिसके तहत उनकी तरफ से दी गयी शिकायत में लिखा है कि शनिवार शाम पौने पांच बजे पीसीआर कॉल के जरिए इस घटना की सूचना पुलिस को मिली. थाने का स्टाफ मेन रोहतक रोड स्थित प्लॉट नंबर 193 पर बनी एक बिल्डिंग के पास पहुंचा, जहां पहले से लोग नीचे जमा थे. मेन रोड की तरफ शीशे की खिड़की तोड़कर कुछ लोग नीचे उतर चुके थे. इसके बाद मौके पर दमकल कर्मी, एनडीआरएफ स्टाफ और अन्य एजेंसियों को भी बुलाया गया. एफआईआर के अनुसार जिस बिल्डिंग में आग लगी, वो पांच सौ स्क्वायर यार्ड में बनी हुई है. जिसमें बेसमेंट से लेकर चार मंजिल तक का निर्माण है. इसके ऊपर आधे हिस्से में रिहायशी फ्लैट बना हुआ है.
मुंडका अग्निकांड को लेकर पुलिस की एफआईआर में क्या है दर्ज
- बिल्डिंग में कोई इमरजेंसी एग्जिट गेट नहीं
- मनीष लाकड़ा, उसकी मां और पत्नी के अलावा किराए पर प्रॉपर्टी लेने वाले दोनों भाईयों हरीश और वरुण गोयल के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया मामला
- एफआईआर के मुताबिक गोयल बंधुओ ने नहीं रखा था अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का खयाल, पुलिस ने दोनों को किया गिरफ्तार
- मोटीवेशनल प्रोग्राम होने की वजह से घटना के समय अधिकतर कर्मचारी दूसरी मंजिल पर थे मौजूद
कंपनी में 50 महिलाओं सहित 100 कर्मचारी कार्यरत
इस कंपनी में लगभग 100 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें 50 महिलाएं हैं. शुक्रवार को इस ऑफिस में मोटीवेशनल प्रोग्राम होने के कारण सभी कर्मचारी दूसरी मंजिल पर मौजूद थे. आग लगने के बाद अंदर फंसे कुछ लोग फ्रंट साइड पर शीशे तोडकर मेन रोड की तरफ से कूदकर बाहर निकले. आग के कारण काफी लोग बिल्डिंग में ही फंसे रह गए. बिल्डिंग में आने जाने का केवल एक ही रास्ता है. वह भी गली की तरफ है.
दमकल कर्मियों ने निकाले 27 शव
आग बुझाने के बाद एफएसएल और दमकलकर्मी दूसरी मंजिल पर पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में शव मिले. यहां से कुल 27 शवों को निकाल एसएचएम हॉस्पिटल की मॉर्चरी में भिजवाया गया. वहीं, इस हादसे में घायल हुए लोगों में सतीश कुमार, प्रदीप कुमार, आशु, संध्या, धनवंती, बिमला, हरजीत, आयशा, नितिन, ममता देवी, अविनाश और एक अज्ञात शामिल हैं. ये सभी दिल्ली के अलग अलग इलाकों के रहने वाले हैं. हॉस्पिटल से कुल 39 लोगों की एमएलसी हुई थी, जिनमें घायल और मृत दोनों ही शामिल हैं.
हादसे में गोयल बंधुओं की भूमिका पर सवाल
पुलिस ने मौके पर जांच के दौरान पाया कि इस बिल्डिंग को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए गोयल भाईयों ने किराए पर ले रखा था. इतनी संख्या कर्मचारी होने के बावजूद भी उनकी सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं रखा गया. बिल्डिंग के अंदर बाहर निकलने का कोई इमरजेंसी गेट भी नहीं था. इसके अलावा कोई दूसरे रास्ते का भी प्रावधान नहीं किया गया था. चारों तरफ से बंद व तंग बिल्डिंग में इतने ज्यादा कर्मचारियों को इकट्ठा कर अपने फायदे के लिए इरादतन उनकी जान खतरे में डाली गई, जिसकी वजह से कइयों की जान भी चली गयी.
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