नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा कि जनता की रक्षा और सुरक्षा, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाएं. जस्टिस एस. रविन्द्र भट और जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने कहा कि फोर्स में और कर्मियों की भर्ती ओर अधिक फॉरेंसिक लैब बनाने में बहुत समय लगेगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र और दिल्ली सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिएं जिन्हें जल्दी क्रियान्वित किया जा सके.
झुग्गियों और कॉलोनियों पर ध्यान देने की जरूरत है: हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा, ‘‘यह देखें कि जनता, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की रक्षा ओर सुरक्षा तुरंत सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जा सकता है.’’ बेंच ने कहा, ‘‘पुलिसिंग ज्यादातर पॉश इलाकों में होती है. इसलिए हमें अन्य क्षेत्रों जैसे झुग्गियों और अन्य ऐसी कॉलोनियों पर ध्यान देने की जरूरत है.’’
लड़कियों और महिलाओं से बातचीत कर समस्या का पता लगाए पुलिस: हाईकोर्ट
बेंच ने सलाह दी कि पुलिस उस क्षेत्र की महिलाओं और लड़कियों से बातचीत करके उनके सामने आने वाली समस्याओं की जानकारी ले सकती है और अपना प्रतिक्रिया समय बेहतर बना सकती है. जबकि दिल्ली सरकार अंधेरे वाली जगहों पर रोशनी और सीसीटीवी कैमरों का इंतजाम करवा सकती है.
हाईकोर्ट ने किया सवाल- महिलाओं को फोर्स में शामिल करने का पैमाना क्या है?
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि वह किसी पुरूष या महिला को फोर्स में शामिल करने से पहले उसके चयन का पैमाना क्या होता है. कोर्ट ने पूछा, ‘‘क्या आप कोई मनोवैज्ञानिक जांच करते हैं या फिर सिर्फ शारिरीक बल पर ध्यान देते हैं? क्या आप सुनिश्चित करते हैं कि आपराधिक मामलों में संदिग्ध लोग बल में शामिल ना हों.’’ दिल्ली पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि सिर्फ मेडिकल जांच की जाती है.