नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोवंश की कथित हत्या के बाद से बवाल जारी है. इस बवाल में एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक आम नागरिक सुमित की मौत हो चुकी है. फिलहाल इलाके में धारा 144 लागू है. सुबोध सिंह वही अधिकारी हैं जिन्होंने दादरी के मोहम्मद अखलाक मामले की कुछ समय तक जांच की थी. अखलाक की आज से करीब तीन साल पहले दादरी के बिसाहड़ा में गोमांस रखने के शक में भीड़ ने घर में घुसकर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. उसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया था और राजनीति का अखाड़ा बन गया था. यह गांव जारचा कोतवाली के तहत आता है. उस समय जारचा में सुबोध कुमार सिंह ही प्रभारी थे.


पुलिस अधिकारी ने बिसाहड़ा में अखलाक की हत्या के दूसरे दिन 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. उनकी कार्रवाई के बाद ही यह मामला सुर्खियों में आया था. उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार ने कहा, ''सुबोध कुमार सिंह 28 सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक दादरी के अखलाक लिंचिंग केस में जांच अधिकारी थे. बाद में इस मामले में चार्जशीट अन्य जांच अधिकारी ने मार्च 2016 में फाइल की थी.'' सुबोध सिंह को वाराणसी ट्रांसफर किया गया था.


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अब राजनीतिक पार्टियां सवाल उठा रही है कि कहीं भीड़ में से कुछ चुनिंदा लोगों ने अखलाक मामले में जांच की वजह से ही तो नहीं सुबोध कुमार सिंह की हत्या की है. दरअसल सुबोध सिंह की पुलिस गाड़ी पर लटके लाश का एक वीडियो आया है. जिसमें कथित तौर पर तीन चार युवक कह रहे हैं कि यह एसओ तो वही है. इसी वीडियो के आधार पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने कहा है कि वीडियो में जो लोग कह रहे हैं कि ये 'वही है', इसकी जांच होनी चाहिए.


बुलंदशहर के गांव चिंगरावठी गोवंश के अवशेष मिले थे, जिसकी सूचना स्याना के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को दी गई थी. इसके बाद सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने उत्तेजित ग्रामीणों को समझाया-बुझाया. इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने गोवंश के अवशेष को लेकर पुलिस स्टेशन को घेर लिया और जाम लगा दिया. एक बार फिर समझाया गया. शुरुआत में ग्रामीण सहमत हो गए. बाद में ग्रामीणों ने पुलिस चौकी पर पथराव शुरू कर दिया. जिसमें सुबोध सिंह की मौत हो गई.


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