नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस को उर्दू और फारसी के शब्दों से दूरी बनाने को कहा गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि उर्दू और फारसी के गूढ़ शब्दों से जहां तक हो सके बचा जाए और आसान भाषा में एफआईआर लिखी जानी चाहिए. क्योंकि पुलिस के जवान उर्दू और फारसी के शब्दों को उनके मतलब जाने बिना इस्तेमाल कर रहे हैं. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि पुलिस को उर्दू और फारसी के शब्दों के बारे में अपना ज्ञान देने की जरूरत नहीं है.


उर्दू, फारसी के शब्दों पर रोक लगाने के लिए पीआईएल 


दरअसल उर्दू और फारसी शब्दों के इस्तेमाल से होने वाली असुविधा को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गयी थी. 7 अगस्त 2019 के कोर्ट ऑर्डर के आलोक में दिल्ली पुलिस ने अपने सभी थानों को सर्कुलर जारी किया था. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि क्या दिल्ली पुलिस के सर्कुलर का उसके अधिकारी पूरी तरह पालन कर रहे हैं या नहीं.


दिल्ली पुलिस की लिस्ट में 383 उर्दू और फारसी के शब्द हैं जिनके मतलब हिंदी और अंग्रेजी में लिखे हुए हैं. इनका हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि जनता इन शब्दों को नहीं समझ पाएगी. कोर्ट ने एफआईआर की कॉपी मांगनेवाले को लिस्ट के साथ देने को कहा. हाईकोर्ट की बेंच ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि इन शब्दों के इस्तेमाल को जरूर रोका जाना चाहिए.


आईपीसी 1973 का हवाला देते हुए कोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस का लिखा हुआ एफआईआर बहुत अहम दस्तावेज होता है. एफआईआर की कॉपी मजिस्ट्रेट को तुरंत भेजी जाती है. और कोर्ट में एफआईआर को बार बार पढ़ा जाता है. इसलिए एफआईआर को आसान भाषा में लिखे जाने की जरूरत है. या उस व्यक्ति की भाषा में लिखा जाना चाहिए जो पुलिस के पास एफआईआर कराने पहुंचा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में पुलिस से एफआईआर की कम से कम 100 कॉपी पेश करने को कहा.


एफआईआर में इस्तेमाल होनेवाले उर्दू, फारसी के शब्द


रोजनामचा- रिकॉर्ड को रखने की छोटी किताब, गफलत-लापरवाही, इत्तिला-सूचना, बयान-कथन, मजरूह-जख्मी, तहरीर-तर्कपूर्ण प्रवचन, फरमाना-निर्देश देना, मुकदमा हाज़ा-केस, हिफाजत-सुरक्षा, बजर्ग कयामी मौका-जैसा देखा गया, सरेदस्त सूरता-प्रथमृदष्टया, तफ्तीश-जांच