Modi Vs Nitish: पॉलिटिक्स एक्सपर्ट संजय कुमार बोले- 2024 के लिए कांग्रेस नीतीश को विपक्ष का चेहरा कभी नहीं मानेगी
Bihar Politics: बिहार के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम को 2024 के लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है. क्या नीतीश पीएम मोदी को टक्कर देंगे? जवाब दे रहे हैं राजीनीतिक विश्लेषक संजय कुमार.
Narendra Modi Vs Nitish Kumar: बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के भारतीय जनता पार्टी (BJP) का साथ छोड़ने के बाद से 2024 को लेकर राजनीतिक चर्चा उफान पर है. कई विपक्षी नेता और विश्लेषक नीतीश को अगले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के समक्ष विपक्ष के चेहरे के तौर पर देखने लगे हैं. इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के सह-निदेशक संजय कुमार ने मीडिया से बात की. उन्होंने कई सवालों का जवाब दिया.
सवाल: क्या बिहार के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के बाद 2024 की कोई सियासी तस्वीर बनती दिख रही है?
जवाब: मुझे लगता है कि इसको लेकर बहुत ज्यादा बयानबाजी हो रही है. ऐसा लग रहा है कि मानो अब बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष मुश्किल की घड़ी आ गई है जबकि फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है. इतना जरूर है कि यह विपक्ष के लिए संभावनाएं पैदा कर रहा है और यह विपक्षी दलों को संदेश दे रहा है कि अगर 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को रोकना है तो उन्हें साथ आना पड़ेगा.
सवाल: विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के दावेदार माने जाते हैं, उनकी तुलना में आप नीतीश की दावेदारी की संभावना को कैसे देखते हैं?
जवाब: अगर 2013-14 का दौर होता तो विपक्षी दल नीतीश को अपना नेता आसानी से मान लेते क्योंकि उस दौरान नीतीश को लेकर लोगों में आकर्षण था, लोगों को उनकी खूबियां दिख रही थीं. उस वक्त ममता बनर्जी का इतना बड़ा कद नहीं था. मेरे कहने का मतलब यह है कि नीतीश की तुलना में कई प्रमुख विपक्षी नेताओं की लोकप्रियता बढ़ी है. नीतीश के पक्ष में यह बात जाती है कि वह हिंदी भाषी क्षेत्र से आते हैं, लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव है और भ्रष्टाचार एवं परिवारवाद जैसे आरोपों से मुक्त हैं.
सवाल: क्या नीतीश कुमार विपक्ष का चेहरा बनने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती दे सकते हैं?
जवाब: फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी की तुलना में नीतीश कुमार कमजोर दिखाई देते हैं. इसकी वजह यह है कि मोदी पूरे देश में लोकप्रिय हैं तो नीतीश की लोकप्रियता फिलहाल बिहार या कुछ अन्य हिंदी भाषी क्षेत्रों तक सीमित है. पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ा है तो नीतीश की लोकप्रियता घटी है.
यह जरूर है कि नीतीश की छवि ईमानदार नेता की है. वह किसी राजनीतिक परिवार से नहीं हैं और परिवारवाद को भी आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. आज के समय में ये बातें जनता को आकर्षित करती हैं. यह नीतीश के लिए बड़ी राजनीतिक पूंजी भी है.
सवाल: क्या विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा स्वीकार कर लेगी?
जवाब: यह बहुत मुश्किल दिखाई देता है. कांग्रेस के संदर्भ में यह असंभव है. कांग्रेस हमेशा इसकी पैरवी करेगी कि चुनाव हो जाने दीजिए और फिर संख्याबल के आधार पर तय होगा कि नेता कौन होगा. कांग्रेस के लिए यह असंभव है कि वह चुनाव से पहले नीतीश को अपना नेता मान ले. कांग्रेस पहले की तुलना में कमजोर हुई है लेकिन उसके पास अब भी लोकसभा में 50 से अधिक सीटें हैं जबकि नीतीश के 16 सांसद हैं. अगर नीतीश को चेहरा बनाने की बात आती है तो कांग्रेस के भीतर इसका बहुत विरोध होगा.
सवाल: क्या इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ किसी एक चेहरे को लेकर विपक्षी दलों में सहमति असंभव है?
जवाब: मेरा मानना है कि अगर ये विपक्षी दल नेता चुनने के चक्कर में पड़े तो नेता कभी नहीं चुना जा सकेगा और न ही समन्वय स्थापित हो पाएगा. समन्वय जरूरी है, नेता की जरूरत उतनी नहीं है. अगर समन्वय नहीं रहा तो विपक्ष के लिए 2024 का मामला पहले ही खत्म हो जाएगा.
यह भी पढ़ें
Har Ghar Tiranga: नदी में गूंजी देशभक्ति की जयकार, पणजी में मंडोवी नदी पर निकाली गई तिरंगा बोट रैली